भाटे आले बालाजी कस्त कब मिठाओगे
भाटे आले बालाजी कस्त कब मिठाओगे
भूतों और प्रेतों को मार कब लगाओगे
भूतों और प्रेतों को मार कब लगाओगे
रूज रात सपने में
ठीक
ये तो मुझको डराते हैं
नाम तेरा जपते ही सारे छुप जाते हैं
इन प्रेतों से बालाजी पिंड कब छुडाओगे
भूतों और प्रेतों को मार कब लगाओगे
तेरा चाली सापड़के मैं डर को भगाती हूँ
सुपा चार बजे उठ मंदिर मैं जाती हूँ
मेरे दिल की उलज़न को कब सुलझाओगे
तू तो और प्रेतों को मार कब लगाओगे
अब जल्दी से आकर लेलो खबर मेरी
अब जल्दी से आकर लेलो खबर मेरी
डर के मारे का आया के हो जाना ढेरी
मैं बाट तकूं तेरी मुकब तक छोपाओ
मेरे दिल की उलज़न को कब सुलझाओगे
तू तो और प्रेतों को मार कब लगाओगे
तू तो और प्रेतों को मार कब लगाओगे
तू तो और प्रेतों को मार कब लगाओगे