ही खारी भईया हो
हे
भाई फागुन के
महीना में
हाँ
जे करता मरद लगे बाडे
ओहो
उरंग में रंग लगाई
हे
दादा हो अंग में अंग लगाई
अरे बबरी
जाओना बेचारी के
हाँ
भाधार घ़रे नई खोन
नई खोन
खोगरा इह फागुन में कोई संगुछ देवा एक जानी के मरद जी परदेश में बाडे ओ
परदेशिया की याद में फगनाथा की हावा लागता मेहारी गिरह में तरपतीया बेचाईं
दिया इहे देखके कौक्सी जी अपना कलड़ से लिखनी का गीत के माध्यम से सुनी
एसस मूझीक
गिरह में परदेशिया की याद में
फगनाथा की हावा लागता मेहारी
भारबा बाडे ना भातार के करा से हो मलाका
माई!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
ना ही बाडी के हुँ हमार कोती नी दया दिया!
भारवा बाडे ना भातार के करा से हुम लगावा!
सालो भरो से बहारा में बाडे मुरसा जनावा!
फेलावो रोहोन हमारा चोली के खा जनावा!
भारवा बाडे ना भातार के करा से हुम लगावा!
सभो कर भातार रयो इले पहारा से घोरे!
सभो कर भातार रयो इले पहारा से घोरे!
सभो कर भातार रयो इले पहारा से घोरे!
सभो कर भातार रयो इले पहारा से घोरे!
सभो कर भातार रयो इले पहारा से घोरे!
के करा से हुम लगावा!
सभो कर भातार रयो इले पहारा से घोरे!