कहती है दिल की दिवारे
गुँजती है त्यार में
किसी से पढ़ करें तो मिला
जन भी खो जाता है प्यार में किसी से पढ़ गए तो
एक ही बार मिले
एक लमहे के लिए थिर भी क्यों
लगे जुड़े है सद्दियों से
ये क्या जादो हुआ तूने दिल को है चुआ
बस गए मेरे दिल में सुखों से
एक पर की यारी से खामुश रिष्टा बनाया मुझसे
एक पर की दूरी भी मुझको सताये ना भाई
अब से आखो ही आखो में कर ली है दुनिया भर की बाते
खल की गुजारिश ने रुलाया हसाया मुझे कब से दुन की हर धरकन ने
पोकारा तेरा ही नाम लब से कहा चलो में तेरे ही दिल में घर है बसाया