सुनो ओ नागिर मईया की गाता गाते हैं
हम कठा सुनाते हैं
स्वर्ग देवता रिशी मुणी गुण जिसके गाते हैं,
उस महासती पूर्णागिरिमा की गाता गाते हैं,
हम कथा सुनाते हैं
जय जय पूर्णागिरिमा मा अमर रहे तिर नाँ
यूँ तो भारत में माता के शक्ती पीठ अनेकों,
इन में से पूर्णागिरिमा का शक्ती पीठ भी देखो
आति शक्ति दुर्गा सरूप पूर्णागिरिमा कहलाए,
देवी भागवत शिवपुरान इसकी महिमा बतलाए
दक्षि प्रजापति ने जब भकों महा यज्य करवाया,
सबकों बुलावा भेजा पर शिवजी को नहीं बुलाया
पती का जब अपमान हुआ तो क्रोध सती को आया,
बिना बुलाये चली सती तो शिवजी ने समझाया
जाएज्ञे पुर्णाजीरिधाan,
माँ अमर रहाए ति्र नाओ
पिता करे अपमान पती का सहे न भारती नारी
पत्नी धरम को चली निभाने महासती बलकारी
दक्ष प्रजापती बैठे यज्यमें बैठे देवदा सारे
बिना बुलाए आई सती तो दक्ष उन्हें ललकारे
जो भी मन में आया सती को बुरा भला कह डाला
पिता ने जब अपमान किया तो भड़क उठी है ज्वाला
जलते हुए इस हवन पुंड में कूद पड़ी फिर माता
सुनकर घटना शिवशंकर को प्रोध बहुत है आता
महा प्रलेंकर तांडव ऐसा शिवजी दिखाते हैं तांडव शिवजी
दिखाते हैं उस महासती पुर्णागिरिमा की गाथा गाते हैं
जय जय पुर्णागिरिधा
मा अमर रहे तिरा नाँ
हवन यज्यमे महासती ने भस्मशरीर किया है पती
की खातिर सती ने अपना ये बलिदान दिया है
सती वियोग में शिवशंकर जी व्याकुल हो
गए आँखों से बै आँसु धारा शोक में खो गए
सूर्य चंद्र और पवन नताएं शिव के शोक में
खोए पशपक्षी परवत नदियां भी फूट फूट के रोए
रोतरूप धर शिवजी ने पिर ऐसा रुधन किया है
गणों को दे आदेश दक्ष का शिष ही काट दिया है
सती शरीर को लेके शिव-शंभू-जी घूमते हैं तीनों लोक घूमते हैं
उस महा-सती जगदं-भेमा की गाता गाते हैं हम गाता गाते हैं
जाय-जय पुर्ना गिर्धा
मा अमर रहे तिरा ना
जई जै पुर नाओगिरिदा
मं अमर रहे तेराना
सतिको लेके घूने शिव जीसबी لوक घबडा ऐ
चक्र से अपने विश्मरुजी ने सती के आंग गिराय
सती देह के जहां-जहां भी भक्तो अंग गिरे है
वहाँ-वहाँ पे शक्टः पीठ detto ai जन है जप्पृकेन के बावाण पने है
इक़्ट वन है शक्टः पीठ ग्यानी ये वचन सुनाते
अन्पूर्णा शिकर पे नाभी अंग गिरा है बताते
पूर्णगिरी मैया के नाम से हुआ धाम ये पावन
बामी भात का गहरे छिद्र के करते हैं सब दर्शन
नाभी वाला छिद्र पुजारी धक कर रखते हैं
भक्तों धक कर रखते हैं
ज Automotive locks
आ वा induction
आपको पूर्णागिरी धाम का तुम्हें कराएं दर्शन
जहां पूर्णागिरी मैयां का मंदिर बना है पावन
इच्छा पूरी करने वाली इच्छा पूरण करती
इसलिए पूर्णागिरी नाम से दुनिया इनें बुलाती
उत्राँ चल आचल में टनकपूर चमपावत कहलाए
बना रेल्वे स्टेशन यहाँ पे रेल भी आये जाये
परवत पे बैठी माता भक्तों की राह निहारे
शार्द जैसे अपने जल से माँ के चरण पखारे
करे यात्रा कैसे मां की तुम्हें बताते हैं
भक्तों तुम्हें बताते हैं
उस महसती जगदंबे मा की कथा सुनाते हैं हम कथा सुनाते हैं
जैज़य पुर्णागिरिधा मा अमर रहे तिरा नाँ
पीली भीत हल्डवानी चाहे नैनी ताल से आओ
चाहे आगरा मतुरा बरेली कास गंज से जाओ
मिले टनकपुर रेल की सेवा बस भी मिल जाती है
ने डुनीया यहां आती है हर्याली की सुन्दर्ता लगती है
बड़ी निराली हरे भरे व्रख्षों की शोभा लगती है मतवाली
सूर्य उदए और सूर्य अस्त की छटा लगे मनुहारी
उचे नीचे परवतों की शोभा लगती प्यारी
प्यारे प्यारे दृश्य सभी के मन को लुभाते हैं
भगतों मन को लुभाते हैं
उस महसती पूर्णागिरिमा की गाथा गाते हैं
जय जय पूर्णागिरिमा
मा अमर रहे तिरा नाँ
पावन ब्यान दुरा का वान मंदिर और पाणडव रसोई
परशुराम के घाट को देके बिना न रहता कोई
अर कोई
प्राचीन तीर्थ का दर्शन करने आता जो भी आये
यात्री पहले भगतों तनकपुर रुकते पहले पढ़ाओ
पूर्णागिरी का भगतों यही बताते
पानी की टंकी के पास तुमको ले जाते हैं भगतों तुम्हे ले जाते
हैं उस महासती पूर्णागिरी मा की गाथा गाते हैं अम गाथा गाते हैं
जय जय
पूर्णागिरी धा मा अमर रहे तिरा ना
लंभी कतारे लगी यहाँ पर मोटर कारों की
हर दम गूझे धवनी यहाँ मा के चैकारों की
लगता है बाजार यहाँ पे मिलता सब सामान मिले
धार्मिक गंथ यहाँ पर मंदिर के दर्म्यान
कल कल करती बहे शारदा नदी यहाँ मनभावन करते हैं इसनान यातरी
पहले यहाँ पे पावन फिर करते हैं मा के मंदिर के लिए प्रस्तान
ऊच चड़ाई परवत की भक तो लगती आसान
दो रास्ते यहाँ जो आगे एक हो जाते हैं भकतो एक हो
जाते हैं उस महसती पुर्णागिरमा की गाथा गाते हैं
जै जै पुर्णागिरिधा
मा अमर रहे तिर नाँ
ये ककराली गेट यहाँ से भकतो बस मिलती हैं
सौदा किलो
मीटर की चड़ाई जब ये पार करती हैं
तूली गाड स्टेंड पे यात्री आके उतर जाते हैं
इसके बाद हम राणी घाट मैधान में आ जाते हैं
कित्वा नौली के पास ही महादेव मंडी
रिशी मुनी यहाँ कथा सुनाएं अमरत में आनंदी
महाबली ये भीम करो पाचीड पेड मतवाला देखो
पाणडव रसोय का ये पहला पढ़ाव निराला
पाँच किलो मीटर की चड़ाई शुरू हम करते हैं भक्तो शुरू हम करते हैं
उस महसती पुना किर्मा की गाथा गाते हैं हम गाथा गाते हैं
जय जय पुरणा गिरदमा
अमर रहे तरणा
मांके मंदिर की यातरा यह से शुरू होती है
पासी की चड़ाई भको यह से शुरू होती है
इसके बाद में हनुमान चट्टी पे पहुँच जाते
हैं हनुमान जी के यह दर्शन सबी भक्त पाते हैं
आगे चल कर भक्तो धलान पे लादी खोला आता
यह काली का मंदिर दर्शन देती काली माता
बक्रों की यहां लगे बली का यह इस्थान बताते
हैं नदी में दी गई बली का लादा इसमें सबी बहाते
साख कोता इन जी के लिए भक्तों बाते यह वखोते��ं साखें,
यह पास करें,
भक्तों भक्तो भक्तों बातेणने करते हैं.
फ़िर अदमाद बात के लिए जातेिंगी जी तरश संगल कत�문 के छाल गताननांर हैं,
धरि चाहतर
जैपुर्णागिरधा मा अमर रहे तिर नार।
महाकाल भैरों के दर्शन आओ हम करते हैं
भैरों चट्टी इसी पढ़ाओं पे भक्तों हम चलते हैं
नंगे पाउं चलके लाको यात्री यहां पे आते
श्रत्ता भावस दर्शन करके सोया भाग जगाते
आगे हर्यों अटालिया
नामक है बाबलिया
भगतों के मन में दर्शन का उत्सा बढ़ता जाता
आओ भक्तों अब तुन्यास पढ़ाओं पे चलते हैं
हम कथा सुनाते हैं
पहले इस तुन्यास का नाम इंद्र भवन बतलाते
करते हैं विश्राम यातरि प्रमुक पडाव बताते
यहीं पे होता बालकों का शुब मुंडन संसकार
अखंड धूने पर करवाएं आवन यज्य संसार
सुना यहाँ पे तूना राक्षस का वधमान किया है
इंद्र देव की तको इस थली इसको नाम दिया है
गौतम रिशी ने इंद्र देव को भकतो शाप दिया था
शिवजी के कहने पर तिर यहाँ इंद्र ने यज्य किया था
अब जुपे मंदिर की महिमा तुम्हे बताते हैं
उस महसती पुर्णागिरिमा की गाता गाते हैं
ज़ै जेपुर्णागिरिदा
मां अमर रहे तेरा नाँ
बिन संतान दुखी सेथने माका ध्यान लगाया
माकी किरपा से फिर उसने उत्र रतन धन पाया
सुकी हुआ परिवार सेथका सब दुख दूर किया था
सोने का मंदिर चड़वाऊं सेथने वचन दिया था
मनों कामना पून हो गई मन में लोब समाया
ताबे के मंदिर पे पानी सोने का चड़वाया
इस मंदिर को लेके जब माकी सेवा में आया
पूनागिर मैयाने उसको चमतकार दिखलाया
माकी परिक्षा लेने वाले खुद पछ्टाते हैं
हाँ वो खुद पछ्टाते हैं
उस महासती पूनागिर माः की गात हा गाते हैं हंम कथा
सुनाते है जय जय पूनागिर हां मा अमर रहे तरह नां
एक किलोमीटर जब रह गया पूनगिरी का धाम
ठके हुए उस सेथ ने सोचा करलू यहीं विश्राम
घोर हुई तो सेथ ने उस मंदिर को जब उठवाया
हो गई सब नाकाम कोशिश मंदिर उठना पाया
यही वो काला मंदिर है जो मा ने ठा ठूक़ाया
बदनीयत उस सेथ का मन्दिर भवर में चरि ना पाया
यही वो मंदिर है जो जूठा मंदिर है कहला था
मा से छल करने वला वो सेथ बहुत पछता था
जो दिल मा का दुखाते हैं उस महासती पुर्णागिरि मा की गाथा गाते हैं
जै जै पुर्णागिरि धाँ मा अमर रहे तिरा नाँ
आओ सिद्ध बाबा की समाधी पे तुमको ले जाएं
बनखंडी इस थान की महिमा भक्तों तुमें बताएं
सिद्ध मनी नामक एक बाबा जी यहां रहा करते
थे पूजा अरचन भगवति मा की सदा किया करते थे
बड़े बड़े गुण ज्यानी ध्यानी हर कोई ये कहता
रात को मा के मंदिर में कोई भी वास न करता
मगर ये दुस्था सी बाबा ने यही भूल कर डाली
अपनी समाधी रात को ही इस मंदिर बीच लगाले
रात्रि में ही बाबा मा का ध्यान लगाते हैं भक्तों ध्यान लगाते हैं
उस महासती पूर्णाकिरी मा की गाथा गाते हैं हम कथा सुनाते हैं
जैजै पुर्णागिरिधा
मा अमर रहे तिरा ना
आई वहाँ पुर्णागिरि मैया अमबे आधिभवानी
मेरा भैना तुझे जरा भी बैठा यहाँ हट ठाने
इस अपराद का दंड दिया दो टुकडे की ये मैयाने
एक टुकडा बनखंडी परवत ऊपर जाके गिरा है
शामने वाले परवत ऊपर दूजा भाग पड़ा है
मैया से फिर बिन्ती करते रिशी देवता ज्यानी
बाबा को अब ख्षमा करो वरदो इसको वरदानी
जग जननी से सभी देवगण विन्ती करते हैं
भक्तो विन्ती करते हैं
जैजय पुर्णाजीवज़ा
मा अमर रहे तेर ना
जैजय पुर्णाजीवज़ा मा अमर रहे तेर ना
बोली मैया जो मेरे दर्शन को यहाँ आएगा
सिद्बाबा के दर्शन करके मुझसे फल पाएगा
सिद्बाबा सा भक्त मेरा ना होगा कोई दूजा
मेरी पूजा के ही सात होगी इसकी भी पूजा
सुनके वचन मैया के देवता प्रसन हो गए सारे पूनागिर
मैया के सब ही बोले जैजै कारे
ममता मैई करुणा मैई माता दुख भक्तों के
हरती संकट हरनी मंगल करनी घर घर मंगल करती
जगजननी अम्बे मैया के गुन सब गाते हैं भक्तों गुन सब गाते
हैं उस महासती पूनागिर मा की गाता गाते हैं हम कथा सुनाते हैं
जैजै पूनागिर धा
मा अमर रहे तिरा नाँ
सिद्धाबा के दर्शन करके आगे अब चलते हैं
काली भैरों मंदिर के तुम्हे दर्शन करवाते हैं
भैरों चट्टी महाकाल भैरों का मंदिर प्यारा
तुर्णा नामक राक्षस को मैईया ने यहीं पे मारा
भैरों का मना पूरण होती भक्त यहीं पे आते हैं
काली मंदिर पे ही आके भक्त यह बली चड़ाते हैं
अब हम तुमको ब्रह्म देव मंडी के दर्श कराएं
ब्रह्मा जी ने यग्य किया था महिमा तुम्हे बताएं
जय जय पुर्णा घिर्धा
माअमर रहे तिर नाम
खांकर घाट प्रचीन तीर्त है भकतो बड़ा मन भावन
ब्रह्मा जीने किया यग्य यहां हवन कुंद है पावन
पाणडव काल में पाणडव यहां बनवास बिताने आये
तभी से ये किस थान है भकतो बनवासा कहलाई
पाणडव द्वारा हवन कुंद निर्मित देता दिकलाई
हवन समागरी आज भी यहां चिपकी हुई है बतलाई
एरवासी बोले मईया डूबे गाव बचाओ शार्द
नदी की धार को मैया गाव से दूर हटाओ
दान में देंगे सोगाएं ये वचन सुनाते हैं मा को वचन सुनाते हैं
उस महसति पुर्णा किरिमा की गाथा गाते हैं हम गाथा गाते हैं
वचन जब भूले गाउन वाले रूठी पूना माई
माने की फिर रोक लगाई
आज भी गाउन वाले
पूजा का कर घाट पे करते
माने की सुईकार ये पूजा जनम जनम गुन गाते
जो भी माँ को देन वचन भक्तों वो पूरा करना
लाज
रखेगी पूर्णगिरी मैंयाँ पे भरोसा रखना
जւनन "...."
बनवासा से अब चलते हैं शेष नाग दर्बार
पंचमुखी महदेव के दर्शन करता है संसार
महदेव की पंचमुखी मूरत है बड़ी सुहानी सुना
है भकतों शिवजी की ये मूरत बड़ी पुरानी
शिवलिंग मंदिर के पास ही पंचमुखी धर्मशाला
करता है विशराम यहां अर्यात्रि किसमत वाला
सैलानी गोठ
दर्शन इस थल है प्यारा
पुल का हुआ निर्मान यहां पे लगता बड़ा ही नियारा
देखो ये 84 गुफा पुना मंदिर के वाए
सित गुफा के निकट बनी 84 गुफा कहलाए
देखो परशुराम घाट भी
ठूली गाड के आगे
शिव के उपासक परशुराम के दर्शन से मन जागे
इसके
आगे कलधूंगा
रमणी इक स्थान है
सुनकटा परवत भी कहता इसे हर इंसान है
खिल्पति भुमिया गाड के दर्शन तुम्हे कराते
हैं उस महासती पुर्णागिरि मा की गाथा गाते हैं
जै जै पुर्णागिरि धा
मा अमर रहे तिरा नाँ
अखिल तारणी का सिद पीरत भखतों ये कहलाए
मनो कामना पूरी होती हर कोई बतलाए
गुपी ताल से आगे टनकपूर मार्ग पे हम चलते हैं
भुमिया देवता मंदिर के आओ दर्शन करते हैं
सेना पानी तीरत यहां से भखतों कुछ दूरी पर
हो जाते हैं धन्य यात्री यहां के दर्शन पाकर
सेना पानी नाम पढ़ा
कैसे ये सुनो कहानी
अंग्रेजी सेना को यहां मिलता था राशन पानी
अन्पूर्णा अन्पूर्थी नाम बताते हैं भक्तों नाम बताते हैं
उस महसती पूर्णा किरिमा की गाता गाते हैं हम कथा सुनाते हैं
जय जय पूर्णा की रिधा मा अमन रहे तिरा नाँ
शारदनहर भी देखो टनकपुर में लगती अति सुन्दर
भारत वासी धन्य हुए यहां सुन्दर बांध को पाकर
नायक गोठ का अखिल तारणी मंदिर ये भाता है
लगे असाड के मास में मेला सारा जग आता है
जैदेव जागो कहके देवी को लोग जगाए लाल चुनर या चावल देके मा को सभी मनाए
नानक मत्ता गुर्गारे की शोबा भकों प्यारी यहां पे एक कुआ
नानक सागर है नाम सुक्कारी
नानक सागर बांध कोई इसको बतलाते very
what heल conscious to
जै जे पुर्णाघिरिघा मा अमर रहे तिर नाँ
चमपावत में बालेश्वर कांतेश्वर मानेश्वर हैं
महादेव मंदिर में जैसे मिलते परमेश्वर हैं
राणी नौला गौरल चोड बारा कोट है पावन
किंगलाज देवी के भकों कर लो आओ धर्शन
लोहा घाट में लोहा वती ये नदी यहाँ पे बहती
वाना सुर का किला बना और देखो पलों की घाटी
देवी धुरा बारा ही मंद भक्तों कर लो धर्शन
लगते हैं मैया के मेले प्रती वर्ष मन भावन
पंचेश्वर का पीरत भक्तों तुम्हे कराते हैं भक्तों तुम्हे कराते
हैं उस महासती पुर्णागिरिमा की गाथा गाते हैं हम कथा सुनाते हैं
जय जय पुर्णागिरिधा
मा अमर रहे तिरा नाँ
पंचेश्वर में पांच नदियां संगम है मन भावन हुआ
पांडवो की देही का यहां विशरजन पावन बनसति मैया का मंदिर
बनवासा के है अंदर सारे देवी देवता गण के बने सुहाने मंदर
श्री मुक्तेश्वर शिवलिंग की
पूज़ा करे नर नारी साधु बाबाओं की समाधी बनी हुई यहां प्यारी
भारामल बाबा का थान एक भक्त हुए गुजराती
मा की भक्ती करते थे वो पूज़ा पाठ दिन राती
जय जय पुर्णागिरिधा
मा अमर रहे तिरा नार।
आओ तनकपुर से उत्तर में भक्तो भोटिया खेडा
स्वामि विवेक आनंद
आशिरम निकट ही शाम ला ताल ताल का पाणी शाम वर्ण का महिमा बड़ी विशाल
पूँणगिरी के आस पास हैं भक्तो कितने धाम
अलग अलग इस्थान हैं इनके अलग अलग है नाम
तुननस के आगे रस्ता जंगल बीच से जाती
पूँणगिरी परवत की चढ़ाई कुछ दुरघम हो जाती
सेडियां उपर लोहे की पाइप बतलाते हैं पाइप बतलाते हैं
उस महासती पूँणगिरी मा की गाथा गाते हैं अम कथा सुनाते हैं
जय जय पूँणगिरी धाम मा अमर रहे तिरा नाम
चढ़े चढ़ाई पाइप पकड़कर मा के
भक्त ये सारे
शाली भैरो मंदिर मारग में मिलते हैं मा
की जय जय बोल भक्त आगे ही बढ़ते जाते
नौकदार एक शिकर पे पूँणगिरी मा का दरबार
पावन इस मंदिर में गूजे मा की जय जय कार
चाकी ऊपर लिंग ना भी प्रिशूल के चिन
बने हैं
सुभा से लेकर शाम तलग भक्तों की भीड लगे हैं
जंड जंडिया घंट यहां पे भक्त चढ़ाते हैं मा से फल
वो पाते हैं उस महसती पूँणगिरी मा की गाता गाते हैं
जै जै पूँणगिरी धा मा अमर रहे तिर नाँ
जै जै पूँणगिरी धा मा अमर रहे तिर नाँ
बिन भर मा की
पूज़ा अरचना भक्त सभी करते हैं रात्री होने से बहले सब नीचे आ जाते हैं
अगर कोई भी भक्त यहां पर रुकना भी चाहता
है बनी धर्मशालाय यहां अर कोई सुक पाता है
मा के नीम का पालन भक्तों सब को ही करना है
भक्त भाव से पूँणगिरी मैंया के दरस पाना है
नर नारी विदा और बच्चे यहां विकलांग भी आते
मा की शक्ती से भक्तों दुर्गम चड़ाई चड़ जाते
नवरात्रों में मा के दरशन सब ही पाते हैं उस महासति
पूँणगिरी मा की गाथा गाते हैं हम गाथा गाते हैं
जय जय
पूँणगिरी धा मा अमर रहे तिरा नाँ
जय जय
पूँणगिरी धा मा अमर रहे तिरा नाँ
यूँ तो
पूँणगिरी मैंयां की ए विशाल ये गाथा
उस जगजणी की महिमा कोई पूरी ना कर पाता
मा की किरपा से थोड़ी सी महिमा हम लिख पाए अम्बे
आओडियो सीडी के माध्यम से तुम्हें पहुँचाए
भूल अगर हो गई हो इसमें शमा करो गुण ज्यानी
तेरी शक्ती से लिख पाए गाथा ये महराणी
मैं बालक नादान हूं तेरा कर न दया हे माता
देभखती वरदान मैं तेरी लिखता जाओं गाथा
ज़ेवन्द नावैरागी मां तुम्हें मनाते हैं मैंया तुम्हें
मनाते हैं उस महासती पुर्णागिरिमा की गधा गाते हैं
जय जय पुर्णागिरिधा मा अमन रहे तिरा नाव
Đang Cập Nhật
Đang Cập Nhật
Đang Cập Nhật