ब्रजबसिया ब्रजेस संग, आओ ब्रजेस कुमार, लाज रखो संकत हरो तेरे बार, अम्मा
आये देखते हैं
कि गम की अधिरिया जुकी गई, सब को हिला दिया
ब्रजेस पूरे देश को तुमने दुला दिया
गम की अधिरिया जुकी गई, सब को हिला दिया
ब्रजेस पूरे देश को तुमने दुला दिया
ब्रजेस पूरे देश को तुमने दुला दिया
क्या ये कहें अवतार लेकर यहाँ पे आए थे
थोड़े समय में हर दिल में घर भी बनाए थे
इस देश में जा बस गए हम सब को छोड़ थे
बुड़े बचे और नौजवानों से मुमोड के
सब रोते त्यारी याद जव सब ही को आती है
वो सामरी सूरत सबे पांगल बनाती है
पागल बनाती है
पागल बनाती है
अरे नाथ वैया यात ने आशू बाहार
अब देख को एथेस क्यों थनार
साथी कहें प्रभ कहां गए हम सब को छोड़के
परिवारी बेटा भाई पेंचनाता थोड़के
रेखा देवी पंकज माध्यम को क्या सिला दिया
दिर्जेस पूरे देश को तुमने रुला दिया
कम की अनहिरिय जुकी गई सब को हिला
दिया, दिर जैस पूरे देश को तुमने रुला दिया
उपस्तित समस्त सोता बंधो
आज हम राजपूत कैसिट के सोजन्य से
आप लोगों तक महान गायक, कथा बाचक
परिवारी
और आज पूत कैसिट के प्रसिद्ध गायक ब्रजेश कुमार शास्त्री जी की जीवन सहली की तरफ ध्यान देते हैं, जो आज हमारे बीच में नहीं हैं, ये कहां के रहने वाले थे, जिन्दगी में क्या किया, और किस तरह से इस संसार को छोड़ करके,
न जाने कौन से लोक में जाकर के वस गए, आज हम वही कहानी शास्त्री जी की राजपूत कैसिट के द्वारा आप लोगों तक पहुचा रहे हैं, आशाई नहीं पूर्वेशास है कि ये कारिक्रम आप लोगों को बहुत अच्छा लगेगा,
आईए देखते हैं,
ये ततरी गाउं है, एटा जिला में ये पढ़ता है, जो कालिंद्री के केनारे है, और यहीं पर केशीरी क्वेश्ण पाल थे पिता,
सतिरे बता सुनो मेरे भाई, और करते खेपी को कामरे कहें, समुझाएं,
इनके पिता किसान थे,
जले सुना,
सुरी देवी मां तक जन्मों ताथ खुशियत छाई, खुशियत छाई,
तीन मार्च 1972 में,
एक बेटा ने जले सुरी देवी के यहाँ जन्म लिया,
गर होई मंगलाचार अरे आंगन में बजे बदाई,
तततरे भारी भारी घृत गृत
मेरे भाईया,
अब ब्रिजेश कुमार ने 1972 में,
ततरे घवओं में जन्म लिया,
मां-बाप को मासस्त्र � ततरों So the first son of a baby,
पैदा होता है ओषित तथा है,
अरे खुशे से खुशिये णयाओ,
आरे खुसे हे रो गाउं महोला बसन पाल घर जनमों लला
और कच्छु नचें उठाएं पला और कोई मांगे मुदरी छला
है इसा नहीं कच्छु कोणी को लगी रहो बांगन में कच्छु कोणी को लगी रहो
गर छाई अजब बहार बहार कि कच्छु नीको नीको लगी रहो
मेरे भाई
रहिया जिस समय बृजेश कुमार जी ने जन्म लिया तो उसी समय बहुत खुशियां मनाए जा रही थी और तुरंत ही देर नहीं की
और पंडित घर पर बुलबाई बेटों नाम करण करवायो
पंडित घर पर बुलबाई बेटों नाम करण करवायो
प्रजेश कुमार लाला को नाम तब दादी ने धरवायो
मेरे भ्रात और भी छोटे भ्रात सुजन
और मन्य सास्ति प्रवेश सभी वैसे कहते कल्यन
कbli ख़ानें सभी वैसे दूर करें
प्रजेश कुमार बुलबायो
मेरे भ्रात और भ्रात सुजन
और मन्य समृति अपने वैसे दूर करें
तीन भाई थे और एक मेहन थी दोस्तों इन्हें गाने की आदत तदभर से नहीं थी कि गाने की सौक जनम से थी
और इसकूल पढ़न जब जाते थे
गाने की सौक जनम से थी और इसकूल पढ़न जब जाते थे
कभी गाना गाई सुनाते थे कभी धोलक भी चतकाते थे
दोस्तों इधर विजेश कुमार कुछ बड़े होते जा रहे हैं
माता पिता के कहे के अनुसार
इसकूल में
पढ़न जब जाते थे
पढ़ने के लिए जाते थे
आद्रस जनता जो रुपधननी में
सास्त्री जी सिच्छां पाते थे
इंतरी कोलेज में कभी कभी
बाजा पे अदा दिखाते थे
आद्रस जनता कोलेज जो रुपधनी में है
इसी में सास्त्री जी ने
इंतर्टक सिच्छा पराप्त की
ऐसा प्रमाण मिला
और जिस समय ये पढ़ते थे
कि पढ़ते थे जिस समय
संगरस मेनत यतिकीनी
और जिस समय ये पढ़ते थे
और पढ़ते थे जिस समय संगर समेहनती अतिकीनी
जैसे तैसे ब्रजे सजीने पेटी सपरीलीने
ज्यादा धनी भी नहीं थे जब बाजा खरीद लिया
अन्यनी मामा घर आए सिरी क्रसन मामा ने लला छाती ते जुबता
अरे अन्यनी मामा घर आए और सिरी क्रसन मामा ने लला छाती ते जुबता
करी मेहनती मामा भारी भाग दोड़ी कर जहां तहां भागवती भी पैठारी
लेकिन दोस्तों
अरे चतुर अति ब्रजेस थे भारी
सुन्दर बहुत यो बाज सुनत सव मोहिनर नाद गाई सव जिरियावे मेला
सामी आधार चेतनी के फिरी बने जाई छेला
अरे अन्यनी मामा घर आए सिरी क्रसन मामा ने लला छाती ते जुबता
कथा सम्रार सामी आधार चेतनी के जिसमें छेला बने
सास्त्री जी सोक कैसित की लगी
अरे तुरत अकैसिती भरने दाए
बेराद
बैराटी चुटकला मिरजा के यहाँ धुमरी में गाए
मेरे भाइया
जब वहाँ बैराटी चुटकले की कैसिट गाए
जाता नहीं बिख सके
लेकिन जो लिखा है उसे कोई मैट नहीं सकता
के बिधिगटि को मेट ना हार चली ना ए कैसिट जादा बैराटी
बिधिगटि को है मेट ना हार चली ना ए
कैसिट जादा बैराटी
कैसे ती ज्यादा भाईया
मारी जिन्दगी
दोले इत यूत मारे मारे
परे परे न कैसे उपार चली न
कैसे ती ज्यादा भाईया
इतने संगर्स में जुड़ गए
जहां कंपिनी पर पोचे
अरे कंपिनी बारे मोहलत कम
और बैसी दे तड़ी गारी चली न
कैसे ती ज्यादा भाईया
अरे हे परमेशुर अवका हो दे
सोचे बिरजेस कुमार चली न
कैसे ती ज्यादा भाईया
मेरे भाईया
जब कैसे ज्यादा नहीं सपल हो सकी
अब तो इधर उधर घूमते रहे
न कोई धीर धरने वाला है
लेकिन इधर
समय गुर्जरता गया
के इतमात की हालत
दिन पर दिन बिगडती जात
मैया
जब कैसे ज्यादा भाईया
के इतमात की हालत
दिन बिगडती जात
साधी हुई
देखा देबि
बन गई जीबन साधी
गेस्टिक पर कव आते बरिजेसी की
साधी हुई
उनीशोबनवे में
बात आते बरिजेसी
ब्रजेश की साधी हो गई कुछ दिन के बाद मैया प्रभु की प्यारी हो गई
परिबार की जिम्मेडारी को समझते जाते खुस रहते थे सबको कथा कै खुद भी हर साधी
एक दिन फिर एक दिन ब्रजेश की भोगाओं आए हरिनाथ सिंग्बर्माजी से रिष्टे बनाए
भोगाओं में आकर के हरिनाथ सिंग्बर्माजी से जब दोस्ती हो गई
कैसिट भरी तो खुस हुए आवाज से भारी एक दिन न एक दिन कैसिट चलिया समय तर प्यारी
कैसिट निकारी थोड़ी बहुत जातां बितिजा में बर्माजी सोचें क्या करें बिरजेश समझा में
बोई सुनेगा जिसने हम सबको मिला दिया लेकिन आज बिरजेश से पूरे देश को तुमने दिला दिया
कर दो
कर दो
कर दो
कर दो
कर दो
गम की अधिरियां झुक गई सबको हिला दिया
बिरजेश से पूरे देश को तुमने दिला दिया
मेरे भाईया
जब कैसिट जाता नहीं विकी बर्माजी सोचते हैं
क्या होगा
लेकिन सास्त्री जी उन्हें सांतुना देते थे
बह्या
चिन्ठा मत करो
के कब हूँ तो तेरे सुनेगो
वो बनसी भारो
जशुदाको प्यारो
वो नंद दुलारो
कब हूँ तो तेरे सुने
कब हूँ तो तेरे सुनेगो
कब हूं तो तेरे सुनेगो वो बनसी बारों जैसुदा को प्यारों वो नंद दुलारों कब हूं तो तेरे सुनेगो
कब हूं तो तेरे सुनेगो वो बनसी बारों जैसुदा को प्यारों वो नंद दुलारों
कब हूं तो तेरे सुनेगो
सात्रिगी कहने लगे भाईया
जो गबाओ
सो हम गईंद
तब ही फेर बनेगो
जैसुदा को प्यारों
वो नंद दुलारों
तब ही तो तेरे सुनेगो
मेरे भाईया
धीरेज बनधाते हुए
समय गुजरता गया
और जैसे ही
के राधा माधव के सीटी भाईया
और हरिनाथ सिंग भरबाईया
राधा माधव के सीटी भाईया
राधा माधव के सीटी भाईया
हरिनाथ सिंग भरबाईया
फिर एक रपा भाई बाई स्वर्गी
कैसिक ने धूम मचाई है
फिर एक रपा भाई परमे स्वर्गी
इतनी जोर से चली
लाज़ पूत कैसिक ने फिर
अपनी लई जगे बनाई
राधा माधव राधा माधव
सबके दिल बीच समाई है
राधा माधव राधा माधव
पड़ते हैं
मेरे भाईया
कैसिक फिर तो ऐसी चली
और एक ही नहीं
के सनन सनन तूफान सी सननाएके चली
और मनन मनन मनो नागिन सी मननाएके चली
और ठेल दुकान में चली
एत खलियान में चली
ऐसा ही नहीं
सनन सनन तुपान सी सनाए के चली
मनन मनन मनन नाजिन सी मनाए के चली
ठेल तुकान में चली खेत खलियान में चली
रामाईड और सौरंगा चुटकले यो किसा होली
लोक था फिर चली बिरन जैसे सेमी की गोली हूँ
थोड़े दिनों में
थोड़े दिनों में
और यवा दिलों में ब्रजेस छाए जियों बादल में चंदा
राधारानी के दिल में हो जैसे बाल मुकुन्दा हो
सब की दिल की धड़कन बन गए ब्रजेस थोड़े दिनों में
फिर गुरू और चेलनु की तोली कतरा एके चली
और मनन मनन मनु नागिन सीमन आएके चली
फेल दुकान में चली थेत घलियान में चली
जानकात के ख़ुद जोड़ जा रहते में है लाद चुड़ से परोतक्रिया निर् envoy जानकात के घलियान में årखा जाती है
मेरे भाई्या, अब तो धीरे-धीरे समय गुजरता गया
मifen सबके समय बहुत तेथा चलने लगे
के मेनपुरी में आई कि और बना लियो निजधाम
ख्रपा हुई कर तार की सवही बनी गए काम
पंकज और माधव दो प्यारे हैं सुकुमार
अतिमहिनत करने लगे सास्त्री ब्रजेश कुमार
दोस्तों मेहनत में इतनी जोर से लग गए
पता ही नहीं चला बीमारी धीरे धीरे पनप रही है सरीज
आके सरीर है के दिन और राती गाए किलकारी
इत बीमारी बढ़ती जाए
बीमारी बढ़ती जाए इत बीमारी बढ़ती जाए
आके सरीर है के दिन और राती गाए किलकारी
इत बीमारी बढ़ती जाए
क्या करते थे?
दिन में दो दो कथा कहीं फिर राते राती चिलावी
हारे थके सफर के मारे
हारे थके सफर के मारे
लेट बई सो जाबे खाने की भी आदि भी सारी
इत बीमारी बढ़ती
नहीं समझ सके
और नहीं जाने पाए ब्रजेस जी फर्मे सर क्या करी है
नहीं जाने पाए ब्रजेस जी
फर्मे सर क्या करी है
फर्मेश्वर क्या कर नहीं जान पाए ब्रजेस जी
फर्मेश्वर क्या कर एक दिन गुरदा की बीमारी
इतनी बैरने बढ़िये जासे बढ़िये मुझे के लिवारी जित बीमारी बढ़िये
मेरे भाईया
मेरे भाईया
दोस्तो इधर समय गुजरता गया है
बीमारी इस सरीर में अपना घर बनाती गई
यहां तक कि एक दिन हो गए बेहोस
रहोना जोस सभी घवराए
और न गए भागवद के नरे फिर सहर यागरादाए
दाजरा में धरवालों ने जादा कहा
रामदग होस्ती तल जाए सुनो चितलाए भरती करवाए भरती करवाए
पांका फीचलो इलाजरे पर ठीक न आये पाए
दोस्तों दो तीन दिन भरती रहें लेकिन कोई असर नहीं पड़ा
और पेट दरद पे असर न आये लेखा सुनले वचन
अमनों पेट दरद पे असर न आये लेखा सुनले वचन
अमनों पेट दरद पे असर न आये लेखा सुनले वचन
अमनों पेट दरद पे असर न आये लेखा सुनले वचन
अमनों पेट दरद पे असर न आये लेखा सुनले वचन
अमनों पेट दरद पे असर न आये लेखा सुनले वचन
अमनों पेट दरद पे असर न आये लेखा सुनले वचन
अमनों पेट दरद पे असर न आये लेखा सुनले वचन
अमनों पेट दरद पे असर न आये लेखा सुनले वचन
अमनों पेट दरद पे असर न आये लेखा सुनले वचन
अमनों पेट दरद पे असर न आये लेखा सुनले वचन
अच्छों से सुख दुख की बतराई, सुवे चलेंगे सेर कानपुर ठीक जल दहेजा, दो गंता में सबकों दयो बहेजा
मेरे भाईया, अवतो सारी रात दर्द बढ़ता रहा, आरे नै नीद राती भर विरन आई
आरे नै नीद राती भर विरन आई
और रही रही के पर दो बढ़े जाई
और सब के मन गए गवराई, रवराई, गवराई
इतना में सुवे गए नहें जाई
मेरे भाईया, इदर सुवे हो गया है
वो सुवे के चार बजे डाइबर सहित
और ले पंकज रेखा संग
शल दीने निरसंक हो दिल में उठी तरंग
लेकिन
शल दीने निरसंक हो दिल में उठी तरंग
लेकिन शल दीने निरसंक हो दिल में उठी तरंग
असगुन भारी भाई गई देखा धबराई
इतने असगुन भाई
मन में सोचने लगे
जैसे घर से चले सुनो सब ध्यान लगाई
असगुन भारी भाई गई देखा धबराई
सरपदई फुसकार बिलई आसमुए आई
आगे बढ़े स्यार रहे चिलाई पित हरी सिरमन नाई
देखा ता मन में गई गबराई अवकातरी है वो गिरधारी
होनी सुरग रही रे मन
अवता मन में सोचने लगे
क्या करें
गाड़ी में बैठे गाड़ी
रफ्तार में चली जा रही थी कानपुर की तरफ
लिकन जैसे ही आगे गाड़ी बढ़ी
के गाड़ी में ही सास्ति जी एक दम चिलाहे है
तोको गाड़ी जलदी से यो बचन सुनाए
तोको गाड़ी जलदी से यो बचन सुनाए
प्राण मेरे गवर आई रहे
आडी है पीरे के मुखों छकर 여�ाई रहे
आँखों में आंसु आ गए तो रो करके सास्त्री जीने एक बात कही
को
साम्त्री
ओ रेका सुन मेरी प्यारी और अवन जिन्ना रहे आई गई पिछुणन की बारी
आरे ललान की साधी करी लियो
बेटा की साधी कना क्या बताएं
आरे ललान की साधी करी लियो
बेटनों तै फिरी कई मात को दो कमती दी
आरे ललान की साधी करी लियो
अरे करो रेखा कर भी छाती
अरे करो रेखा कर भी छाती
जियरा रोग वनाए पेपनाए इसुरते जाती
अरे करो रेखा कर भी छाती
जियरा रोग वनाए पेपनाए इसुरते जाती
अरे करो रेखा कर भी छाती
सवी से मिली जुली के रहियो
और समय देखी की काउते
तुम कच्छ भी नहीं कहियो
पेट मेरो भारी खोली रहो
और गाड़ी लेव रुकवाए
हमारो जियरा कोन रहो
अरे गाड़ी ते उतरी नाए पाए
राम राम कै सत्वादी ने प्राण त्यारी ले
अरे राम राम कै
प्राण त्यारी ले
राम राम कै सत्वादी ने प्राण त्यारी ले
वहीं पर प्राण उड़ गए
अवतो मन में सोचने लगे सभी घवरा गए है
लेकिन पूर्ण रूप से विशास
स्रीमती रेखा देवी को नहीं हुआ
गाड़ी आगे बढ़के चली है
सबने सोचा बेहोसें
कुछ जान ना पाए
कुछ देर में ही कानपुर डाक्टर के ध्यान
हॉस्पितल कानपुर में जब पहुँचे
डाक्टर कहीं मिटी ले करके काया आए
सुनते ही
सभी रो गए कम के बादल छाए
जैसे इन डाक्टर ने मृत गोशित किये है
अरे भाईया उस दुख का वड़न मेरी जिप्यासे नहीं हो रहा
नहीं हो रहा
लेकर मिट्टी मेनपुरी आवास पे आए
6 फर्वरी 2013 में
जब मेनपुरी वाले आवास पर मिट्टी लेकर के आए है
ऐसा कोई गायक नहीं बचा
ऐसा कोई नेता नहीं बचा
जन जन की हिदे में समाई हुए थे विर्जेशी
आज उस मिट्टी को देखने के लिए फीड का पार नहीं था
लेकर मिट्टी मेनपुरी आवास पे आए
वो साम के समय सब ने कहा
मिट्टी गाउं में चलनी चाहिए
जनम भुमी पर ले करके पहुँचे
मेनपुरी से जाए तत्र इलास जवलाई
सरदास वर्स वहीन जा अर्थी पे चड़ाई
होकर दुखी सरदान जली देने को सवाई
अतिवीर माधव साजती कैसी तुम्हे गा रहे हैं
हरिनार्थ भईया राजभूत कैसी तुम्हे ना रहे हैं
लेकिन आज हमारे बीच में नहीं है
इतनी याद आती है सवी को
काँ सो गए सुगनीद में सब को भुला दिया
विर्जेस तुरे देश को तुम ने वला दिया
हमारे साथ धुलक पसंगती कर रहे हैं
मास्टर मुरारिलाद और शिम्टा बजा रहे हैं हमारे सिस्य नटिया और ब्रज्रा सास्त्री हमारा सईयोग कर रहे हैं
सुमित ओमकार इत्याद हमारे सिस्य है
कम की अधिरिया जुक गई सबको हिला दिया फिर जेस पूरे देश को तुमने रुला दिया
और लिजे दो सवद शास्त्री जी के लिए अंतिम हमारी तरफ से कहां तक बताएं
सद्धानजली के रूप में ये गीत पेस है
आवाजिके जादूगर
आवाजिके जादूगर
तुमको नमन है मेरा डाला है कहां पे
आवाजिके जादूगर तुमको नमन है मेरा डाला है कहां पे
ऐसी हुई खता क्या जो तुमने मुख को मोडा
ऐसी हुई खता क्या जो तुमने मुख को मोडा
रिश्टा ये मैंने साथी एक पल में ऐसे तोड़ा
एक पल में ऐसे तोड़ा
अखियां तुमें तला से
अखियां तुमें तला से
कहां कर लिया बसेरा डाला है कहां पेड़ेरा
सदक अरे सुरु केसु ना है माता आगन
आरे सादिक अरे सुनो के एशु ना हे मा कयागन
गम कीन है हर मेफिल फी के हे रंग फाग
फी के हे रंग फाग
आजाओ फिर से कर दो
आजाओ फिर से कर दो
की तोंसे अब उजे रा रेगी
तोंसे अब उजे डाला हे कहां पे नी
कर दो
हर उड़ों में Ki Show cho
भर नैनों में सजे हो
का अ है
का अख झाल
जरूर अख झाल
तुम बसे हो हर नेनों में सजे हो जाकर भी कहां गए हो हर गीतों में रचे हो हर गीतों में रचे
माधव अमुर रहेगा इस जग में नाम तेरा रे इस जग में नाम तेरा डाला है कहां हो
अब आज के जादूगर तुमको नमन है मेरा रे तुमको नमन है मेरा डाला है कहां पेने
अब आज के जादूगर तुमको नमन है मेरा डाला है कहां हो जादूगर तुमको नमन है मेरा डाला है कहां हो
कहानी ब्रजेस सास्त्री की और तुम तक हम अब पहुचाते हैं और राजपूत के सिट में हम ये गाथा तुमें सुनाते हैं
महान सास्त्री ब्रजेस कुमार की जीवन परचे के रूप में आप लोगों तक ये गाथा हमने पहुचाई
ब्रजेस जी की कहानी ये तुम तक हम अब पहुचाते हैं
हरिनाथ सींग बर्मा जी तो कैसे सुन्दर दर्शानी
आते हैं
धरम बीर और रिंकू जी करिके वी कोटिंग हर साते हैं
जब यादि आई ब्रजेस कीतो अखियन ते नीर बहाते है
भाई साथी मेरे मुनारी ये धोलक बैताल दिखाते है
चिमटा पे बैठे ब्रजार्ज सिंग दिखो अपनी अदाती खाते है
दोस्तों राजपुत कैसिट के माध्यम से मेरे आगामी प्रोग्राम है
सीगर ही आ रहे हैं
खेकई दस्तर संबात लश्मर सक्ती बाबा नीम करोरी वाले लश्मर दासी की कहानी
और उर्वसी पुरुर्वा अंगद रावर संबात
आप राजपुत कैसिट के माध्यम से मेरी आवाज में
महाराज हमारो यत्ति बीरू माध्वनास
जिला फिरोजाबाद में रहते हैं
मेरो हतो लक्ख वादा
जिला फिरोजाबाद
काउदन हिलती भरी भरे रोवेदी
यव जावेदी अच्छे
आरे जावेदी एकेली बरमाँगी
जावेदी एकेली
काउदन हिलती भरी भरे रोवेदी
जवन जावेदी एकेली
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