ओम जैगन पति अवतार
स्वामी जैगन पति अवतार
मनुष देवता लोक सभेई
कन तुहें जी जैकार
ओम जैगन पति अवतार
विध्यन से जुने जो मालिक आई
महेमा अपर अपार
स्वामी महेमा अपर अपार
कोभी की न सगे थो पाए
कोभी की न सगे थो पाए
दाता तुहें जो पार
ओम जैगन पति अवतार
शिव शंकर एं पार
पति जो पुट्र पुट्र
वाँ ही सुखकार
स्वामी पुट्र वाँ ही सुखकार
स्वारी तुहीं जी हरि को जाने
स्वारी तुहीं जी हरि को जाने
ज्वान बुढो एं बार
ओम जैगन पति अवतार
सब देवने खाँ अग में तुहें जी हरी को लहे थो सार
स्वामी हरी को लहे थो सार
कार्ज सवारी तने जा जग में
कार्ज सवारी तने जा जग में
जे के अचन था द्वार
ओम जै गणपति अवतार
विद्या जो तु सागर आही
गुण निसंदो भंदार
स्वामी गुण निसंदो भंदार
बुद्धी बलवे सुमति देवने
जो साई बुद्धी बलवे सुमति
जो साई भगतन जो आधार
ओम जै गणपति अवतार
मोदक जो थो भोग लगाए
उस्तति कन बेशुमार
स्वामी उस्तति कन बेशुमार
स्वामी उस्तति कन बेशुमार
आरति ठाये धूप दुखाये
आरति ठाये धूप दुखाये
फुलने जी कन वसे कार
ओम जै गणपति अवतार
निर धन खे धन निर बल खे
बलवे सुमति देवने
दुख निखे लाहे नहार, स्वामी दुख निखे लाहे नहार
जोल भरी दड़वाहे उदासी, देहसंदो डातार
ओम जै गणपति अवतार, स्वामी जै गणपति अवतार
मनुष देवता लोक सभेई, कन तुहें जी जैकार
ओम जै गणपति अवतार, जै गणपति अवतार