बादा के दुआर पे
गंगा जटानी जे
करे चांदा वाली लार पे
खाली न लवटल के हूं बाबा के दुआर पे
जब जब आवेला सावन महीनवा कासी देव घार भीड लाके राते दिनवा
जेही लगवला सयसरा आचारा पसार के
खाली न लवटल के हूं बाबा के दुआर पे
खाली न लवटल
के हूं बाबा के
दुआर से
खाली न लवटल के हूं बाबा के दुआर से
खाली न
लवटल के हूं बाबा के दुआर पे