गोरी उत्र गड़ीश का सुखदायक है नाम
शिव की दुलारे
आपको
बारंबार प्रनाम
सिध ही विनायक सिथ करे भक्तों के सब काज
आप गणों के
भीश है भक्तों के सरताज
शिव की भक्ती करे कश्टों का अंत नाम आपका ले रहे सब सादु और संत
भक्तन के हित पोलते गणपति दया का दार
गणा ध्यक्ष को द्याये हो जाए उद्धार
जय जय श्री गनिश खरते चकल कनिश
मात्हे मुक्त है स्वर्ण का तिलक लगा है भाल
पीतांबर परिधान है
गन्दान परिधान
गझ का मुख है आपका आपका एक है डन्त प्राथमded
शिवगौरा है माता पिता कार्तिक आपकी भाई
नन्दिमरंगी और
शिवगण
रहते
आपके साथ
जय जय शंवीगनेश खान हमेश खान हमेश
झय हमेश,
जय जय श्रीगनेश खान हमेश कालिएक रहे होång
बुद्धिमता की आपकी कोई नहीं है तोड़
देवी देवता भी प्रभू हाथ रहे है जोड़
देवी है पत्निया पुत्र है शबु और लाब
और देवी
संतोशी के प्रभू पिता है आप
सुभाशाम कैलाश पे आरती आपकी होई
रिद्धी सिधी
आपको हाथो चवरधु रोई
नंदी भिंगी
कंचन की आरती ठाल सजाए मा गौरा अपने हाथो
मूदक भोग लगाए
जय जय स्री गनिश खरते सकल कनिश
जय जय स्री गनिश खरते सकल कनिश
भाद पद शुकल चतूरती जन्म लिये ते आप अवतरेत हो भकतों के हरे थे सब संता
अद्भुत जन्म की आपके कथा बड़ी है महान
मुक्ति पर प्रदान करे
जानत सकल जहान
एक दिवस मा पार्वती स्नान करण को जाय
स्नान गरी के द्वार पर पहरेदार नहीं पाय
जन को फिर गौराने दिया मानव आपार प्राण फूक कर बालक को बिठा दिया था दौर
जय जय स्वी गडिश
खरते सकल कनेश
पहरे पर बैठा बालक मा
खाडिश को पाय
शिवशंकर फिर गौरा से मिलने को थे आय
जय जय स्वी गडिश खरते सकल कनेश
जय जय स्वी गडिश
खरते सकल कनेश
पोला हल गौरा सुनी महल से बाहर आय
मित बालक को पाया तो
बहुत हिरुदन मचाय
शिवशंकर फिर विश्णू को जल्वी से भिजवाय
जय जय स्वी गडिश खरते सकल कनेश
जय जय स्वी गडिश खरते सकल कनेश
ब्रह्मा ब्रह्माणी देखो डर्शन को है आय
वेदो के सब ज्यान को
बालक को थमाय
श्रीविश्णू संग लक्ष्मी दी है कैना शुक्याय धन धान की वर्षाथी
बालक पर वर्साय
शुक्याय धन धान की वर्षाथी
खरते सकल कनेश
जय जय स्वी गडिश
खरते सकल कनेश
भाद्र पद्ध शुक्य पक्ष की थी वो पावन राज भार धरा का हरने को
प्रकट हुए थे आज
शिवशंकर ने आपको प्रतं पूज बनवाई
सबसे पहले आप ही
देवा पूजे जाए
तबसे यही विधान है पहले आपका नाँ आपकी नाम से हो शुरू भगतों के शुभ का
हो रही कैनाश पे आपकी जैजैकार नन्दे बिंगी आपको नमन करे सौंबार
जैजै स्वी गनिश खरते सतल कनिश
हर बरस आजाते हो मूसे पर अस्वार गनपति बब्बा मोरिया होती जैजैकार
खर वे लाई प्रेम सिबबपा आपको मंदिर में बिठलाई साज
सुभा करे आरती घंटा शंक बजाई अपने हातों हे प्रभु
मोदक भोग लगाई
आपके आवाहन से मिलते शुभ और नाव प्राणियों के कट जाते आप ताप संताः
जैजै स्वी गनिश खरते सतल कनिश
बल्बुति वे त्याका करे भगतों को तुम दान
रिधी सिध्धी वर्षा करे ले जो आपका नाँ
हर
वर्ष की भाति प्रभु घर में आना
दिप्य नियम से चालि सा आरति तुम्हारी गाई
गनपति बप्पा मोरिया
जैजै कार लगाई
जैसे आपका बप्पा हो प्रसाद
अगली बरस जल्दी आना
चंडन का आभाद
अगली बरस जल्दी आभाद
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