गमन जब भारत नई ही। रुखन में नसात नई।
गमन जब भारत नई ही। रुखन में नसात नई।
मोझे वेहरन सामली जलाए मोझो यां उच्छडी।
गमन जब भारत नई ही। रुखन में नसात नई।
सचो कंदो प्यारो होईं,
कंदो इत्पारो होईं।
लेटोर मोझी
दईवदा खावच जई।
गमन जब भारत नई ही। रुखन में नसात नई।
केदो
मगीरु हुरवाही,
दीदो रुपो सुराही।
दूरन मत्था सूरत थोडी,
दिल में कोई सास न थई।
गमन जब भारत नई ही। रुखन में नसात नई।
जावेद जी दिल प्रोडे,
साँगी अखां मोडे।
देदा जुल्म मिठा,
मत्था थोडी, लावद सै।
गमन जब भारत नई
ही। रुखन में नसात नई।
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