नमस्ते प्रणाम।
और हम बानी गायी का अक्षरा गुब्ता।
हर गाना में
हर तरह के भाव रहे।
लेकिन एह गाना के भाव कुछ अलगे बा।
एह गाना के भाव बा कि अन्जनी भाया तबला पे संगत कर रहा बाने।
और इनकर अवरत इनका से कहता डे कि सुनी
इतना बढ़िया स्टुडियो बना देनी।
इतना बढ़िया घर बना देनी। अइगो मन में लालसा बा हमरा
के गो करिया त्हार केंदी।
हरेंदर भाया बढ़ा भाव से कहा तडी अवरत।
के गो गाड़ी चाही हमारा के थार राजाजी।
रऊवा
सांगे घूमे जाईब हम बजार राजाजी।
एगो
गाड़ी चाही हमारा के थार राजाजी।
चाही नाही सोना चांदी नाही गाहनावा।
दीलवा के सरधा पुराई दीसाजानावा।
चाही नाही सोना चांदी नाही गाहनावा।
दीलवा के सरधा पुराई दीसाजानावा।
की बतिया करिहाना हमरोईन कार राजाजी।
बतिया करिहाना हमरोईन कार राजाजी।
एक गडी चाही हमराके थार राजाजी।
एक गडी चाही हमराके।
लेकिन लाश्ट में कहता डे
कि सुनी रऊवा भी या था हो पैसा भाग।
हम जानता नी इतना बढ़िया रऊवा घ़र बनवादेनी। बड़ा भाव में कहता डे।
जीनगी में पैसा रऊवा बाड़ी कमाईनी।
खेत वा बधार बढ़िया घ़र बनवाईनी।
जीनगी में पैसा रऊवा बाड़ी कमाईनी।
अन्जनी हरेंदर बढ़िया घ़र बनवाईनी।
एग गारी चाहे हमां राकि थार राजाजी।
कि रऊवा सांगे घूमे चाहे पहं बाजार राजाजी।