जब जब जाहिले लोके ले हम बज़ारे या
हमारा के देखे सभे उलटे न जारिया
का कोर बहुंदे राजा हम को ले जाई के हो जोडे इतानले
अखिया उठा के के हो देखी मोरा जानके
तब भुक दे हां बोकारा
पूरा खाना दान के
अखियां उठा के केहूं देखी मुरा जान के
तब भूगते हैं बोकारा
पूरा खाना दान के
ऐसे तो बड़े बड़े बातो बड़ते आये बा
मोका पड़ी तो बाबो भागी ना जाये बा
छतिया में सट करो भूजा जाये बा
केहूं में ताम बातों
तो देखे न छूके
मुढ़ का बड़ाई जदी लागे महू के
तो हरे दम पचानी न होगो तो
आपन कोरे जातान के
अखियां उठा के केहूं देखी मुरा जान के
तब भूगते हैं बोकारा
पूरा खाना दान के
अखिया उठा के केहू देखी मुरा जाल के
तब फुक दे हाँ बोकारा पूरा खाना डाल के
हमरा से कितना तू कोरेला प्यार हो
मडर भी कोरे खाते बाड़ा तेहर हो
तोहरेला घुमे आई जगति हार हो
जानेला हमारा के यूपी पिहार हो
मौलो करता ये हो राजा आजाद
किस दे दिही तो के छानते
अखिया उठा के केहू देखी मुरा जाल के
तब फुक देहा बोकारा पूरा खाना दान के
पागल नहीं तेरा बाबू तेरा दिवाना है
बस एक ख्वाय से तुमको ही पाना है
लव ही