हेई, हेई, हेई, हेई
एक, दो, ती, चाँ
मेरे सवालों की जबा
तुमने अभी दिये नहीं है
तेरे आदे अदूरे हिसा
तेरी लिखी वो फर्जी के ता
किसी नकशे पे खजाना है
जो हम पे ये छुपाना है
या बस पे ये बहाना है
जो सच्चे को छुपाना है
सड़कों पे करते शिकार
घरे जंगल में खैली ये आग
पिन गादी ना पलते है
काम पिन गादी ना अरजी ना काम
किसी नकशे पे ले जाना है
जो बस पे ये सुनाना है
पर अपना ही सजाना है
जो सच्चे को छुपाना है
जो सच्चे को छुपाना है
धर्सी है बनते ये धर्सी
नियत के खोटे ये चमड़ी के मोटे
हक की कमाई है मिल के जो खाई
ऐसे के सुचारे तु
लिखा है मैंने हिसाब
देखो बनता क्या आगे जन्ना
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