आज तोड़ दे चाहे फिर मुझे तुझसे तूटने में भी एक मजार हैघमगर नहीं बाहों में तिरी किसकी फिर भलाये हसी जगा है बेजुबान सीथी रातें बरसी फिर जो तेरी आदें बिखरा जिनमें गम ये था मेराबेअसर रही शरावें भीगा जिनमें दिल ये मेरा बेवजा था सब तेरे बिनाआ गई शाम जो तो कल सुभा का कोई इंतजा क्यों करे दूरियां खतम हुए न सारे फासहुआ है