क्यू
रूठे हम और तुम
क्यू दासी छाई है
हम सबके बीच क्यू ये लड़ाई है
देखो तो चारो
हसी है, खुशीया है
हमने ये कैसी आग लगाई है
तो दिन का जीवन फिर चले जाना है
लड़कर और रोकर किसने क्या पाना है
एक हम, एक जान,
एक सूर्य और एक जान
एक दल, एक खुशी, एक आसु,
एक जहान
मेरा नहीं, तेरा नहीं,
सबकुछ हमारा है
एक इश्वर का हमें सहारा है
पानकर खुशीया दियो,
मिलकर तुम रहो,
हाथों में हात लो, ये समय हमारा है
पल भर का जीवन भरसों में पाना है
ये मौका फिर से वापस ना आना है
क्योंके एक हम,
एक जान, एक सूर्य और एक जान, एक दिल,
एक मंजिल,
एक रा,
एक दारवान
एक चा,
एक प्यार,
एक शीत और एक बहार,
एक भूक और एक जर्द,
एक आँसु,
एक जहान,
एक जहान
एक हम,
एक जान, एक सूर्य और एक जान,
एक दिल,
एक मंजिल, एक रा, एक दारवान
एक चा, एक प्यार, एक शीत और एक बहार, एक
भूक और एक जर्द, एक आँसु, एक जहान
एक दर्द, एक खुशी,
एक दासी,
एक जहान
एक हम,
एक जान, एक सूर्य, एक जान,
एक दर्दी, एक दिल, एक जहान
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