Nhạc sĩ: Chhote Babu Qawwal
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ये तल नहीं सकती है, वो खुल नहीं सकता है
मजबूर की दस्तक है, मग्रूर का दर्वाजा
अब आये इस तरफ जहां जनाब अफसर वारसी की ये दर्णाग घजल आपकी खास तवज्जो की मुन्तजर है
पूछिये क्यों? भाई इसलिए कि अब इस घजल को आपके महभूब फनकार चोटे बाबू कवाल पेश तो कर रहे है
लेकिन आप, आप सिर्फ महजूज नहों बलके इसमें छुपे इशारों के दर्द और कर्ब के समंदर में डूब कर इसका मजा पाईए
मगर पहले घजल का ये मतला समात फरमाईए कि एक मजबूर लाचार फुटपाथ पर खा गया भूग से जिन्दगी बेच कर
गरीबी हर खुशी के आइने को चूर करती है ये वो शेह के हर एक जखम को नासूर करती है
गरीब इनसान गिर जाता है खुद अपनी निगाहों में गरीबी हात फैलाने पर जब मजबूर करती है
शीश महलों में रहने वाले लोग जोपडी का करार क्या जाने जिनको रोने का भी श़ऊर नही वो गरीबू का प्यार क्या जाने एक मजबूर लाचार फुटपाथ पर
एक मजबूर लाचार फुटपाथ पर
खा गया भूक से सिंदगी बेच कर
एक मुफलिस की मईयत पर चंडा लगा एक शादी हुई जोपडी बेच कर
अपने शोहर से बीवी ये कहने लगी कल है बच्चों का इस्कूल सुनते हो जी
लादो कापी पलम तुम किसी हाल में
फीस दे दूँगी मैं ओडनी बेच कर
लादो कापी पलम तुम किसी हाल में
रेडियो साइकल और अंगूठी घरी दे दिया नगद में कुछ कमी रह गई
आई बारात बेटी न दुलहन बनी एक खुशी न मिली सो खुशी बेच कर
आच आने लगी धर्म इमान पर फूल चड़ने लगे जब से इनसान पर
आच आने लगी धर्म इमान पर फूल चड़ने लगे जब से इनसान पर क्या चड़ाए कोई लाके भगवान पर
बागवान खा गया हर कली बेच कर क्या चड़ाए कोई लाके भगवान पर
एक मुफलिस ने सिकों की जहंकार में बेच डाला सभी अपना बाजार में
रके सीने पे अफसर ये संगे गिरा आदमी खा गया आदमी बेच कर
रके सीने पे अफसर ये संगे गिरा
आदमी खा गया आदमी बेच कर