कौन बुनी हाँ
अबही उमरी आशल हो साल बाई,
भैल बाने माल दाल मखनी हो
सब के हुँ कहे मन रोखनी हो,
आज तोले के हुँ पन दोखनी हो
अबही उमरी आशल हो साल बाई,
भैल बाने माल दाल मखनी हो
सुनारे वटी से आवा गोरी लहंगा तू ज्जार के
तौनी नाच मुर्की मार के टूला भौट भूमी हार के
अरे
तौनी यो के गावशा
उपर चले माराजी ये जाने भागवान के
इज़े चले लाराणगारी भूमी हार के
जस जस कोमोरीया तो हर हीलत रही दाम पानी
मिलत रही हो
कोहतानी साचे हुँ
काच कॉली देह तो हर खीलत रही हो
जालावा देखावे आईलूबाने हो सो टेजपो बाबो होई फूल बीचेवाला होना सेजपो
सब यही जब ओई ठलबाडे जिला रांगा दार के
तनी नाच मुर्की मार के
जिला होटे भूमी हार के
धर होथे यार के सवारी
करो
रानु राहुल से यारी करो
अपना के ढेर ना तू प्यारी बनो
जनी तू लचारी करो
तूनी नाच मुर्की मार के भी हार हो भूमी हार के
तूनी नाच मुर्की मार के भी हार हो भूमी हार के