हम बादस जो तिर्लिंग की पावन कथा सुनाते हैं
पावन कथा सुनाते हैं
शिव सरूप जो तिर्लिंगों के दर्थ कराते हैं
अम कधा सुनाते हैं
हम बादस जो तिर्लिंग की पावन कथा सुनाते हैं
पावन कथा सुनाते हैं
शिव सरूप जो तिर्लिंगों के दर्थ कराते हैं
हम कथा सुनाते हैं
जै शिव के पावन धाव
जै जै शंकर भगवान
जै जै शंकर भगवान
जै शिव के पावन धाव
भिन भिन रूपों में शिव ने लिए बहुत अवतार
इस भूमी पर बहुत किये शिव जीने चमतकार
आओ भक्तों तुम्हें
सुनाएं जो तिरलिंग की गाथा
जो करता धामों के दर्सन सारे ही सुख पाता
जब जब दैत्यों ने किया पृत्वी पर अत्याचार
शिव जीने किया उनका संगार करते हैं प्रारंभ कथा अब शिव
कोशीश नवाएं बारा जो तिरलिंगों के तुमको दर्शन करवाएं
सबसे पहले शिव जी की स्तूती गाते हैं आओ शिव को मनाते हैं
शिव सरूप जो तिरलिंगों के दर्स कराते हैं हम कथा सुनाते हैं
जै शिव की पावन धाम जै जै शंकर भगवाण
जै जै शंकर भगवाण जै शिव की पावन धाम
प्रतम रूप के दारेश्वर के भक्तों दर्श कराएं
शिव जी ने यहाँपे तुम्हें
बताएं पन्च के दार नाम से शिवजी यहाँपे पूजे जाते हैं
श्री के दार में कोई मूर्थी
निर्मित नहीं बताये
त्रीकोणी परवत खंड में शिवजी दर्शन दिखलाये
दौपर युग में पांड़वोंने यहां तपस्या की नी
महभारत के युद्ध में शिवने रकषा इनको दी नी
जै शिव के पावन धां,
żyे जै शङ्कर भगवाण
भगवान
जैशिव के पावण धाल
स्री शैल में मल्ली कारुजुन
सक्ति पेथ बताए
सतिक ग्रीवा यहाँ
दीवा यहां गिरीती पावन धाम कहाए
गो जंगल में शिव जी का है ये इस थान बताए
इसलिए शिवरात्री को यहां भक्त हजारों आए
परवत पर कोई दिशा नहीं है यहां है चार दिवारी
मल्ली
कार्जुन शिवलिंग की है महिमा अती नियारी
मल्ली का मंदिर के पीछे है
पार्वती का मंदिल
मल्ली का देवी नामस के पर्टद सुंदर बढ़ा ही मंदिल
मल्ली का पार्वती शिव जी अर्जुन कहालाते हैं
गूणि जन, हमें बताते हैं
शिव सर्वुप जो तृलिंगो के दरस करातے हैं
पाकता सुनाते हैं
जै शिव के पावन धाम
जै शिव के पावन धाम
शिव जी का महाकाल बतलाए
धाम अवंत का पुरी है भकतों अब उज्जैन कहाए
यहां बसे महाकाल प्रभू ये शोभा कहीं न जाए
बसमारती महाकाल की सब के मन को भाए
महाकाल के दर्शन से भैसे मुक्ति हो जाए
अकाल मृत्यों से रक्षा महाकाल कहलाए
सारी दुनिया में प्रसिद है महाकाल का धाम
यहां प्रभू की जोतर लिंगो करे आओ प्रणाम
असुरों का संघार करे महाकाल कहाते हैं
जै शिव के पावन धाम जै जै शंकर भगवान
विंध्याचल में ओंकार श्वर जोतर लिंग महाँ
जोतर लिंग शिव जी का पावन धर्शन करे जहाँ
प्रतिक पुर्णिम के दिन भक्तों मेला यहीं है लगता
शिव के कृपा से फल सबको भकती का है मिलता
मांधाता रिशने यहां आकर शिव का ध्यान लगाए
प्रकट हुए शिव शंकर भीने धर्शन उने दिखाए
तबही से पुजा प्रता चर रही है भकतों तुम्हें बताएं �elli,
धातूरा,
गंगा,
जल इने भक्त चड़ाते हैं,
शिव को भक्त चड़ाते हैं
शिव स्वरूप जोतर लिंगो के धरश कराते हैं,
हम कथा सुनाते हैं
जैजेशंकर भगवान जैजेशिव के पावन धान
सोरस्ट में सोमेश्वर जो पिरलिंग तुम्हें बताएं
सदियों से इस जो तिरलिंग का बारत में है नाम
सारे जो तिरलिंगों में हैं प्रसिद शिवजी का धाम
दो सोमन का घंटा लड़का भकतों यहां बताएं
शिवरात्री पर लगता मेला लोग हजारों आएं
सोमनात के दर्शन करने बस यहां चलती हैं
सोमेश्वर के द्वार पर खुशिया सबकों ही मिलती हैं
अपने भकतों की नईया प्रभु पार लगाते हैं
सबके भाग्य जगाते हैं
शिव सरूप जो तिरलिंगो के दर्श कराते हैं हम कथा सुनाते हैं
जई शिव के पावन धाँ जै जै शंकर भगवाण
जै शिव के पावन धाँ
दाकीनी में
भीमा शंकर जो तिरलिंग बताए
इसी रूप में महादेव जी दर्शन हमें दिखाए
भीमा शंकर सभी मनोरत पूरे करने वाले
शुक्ती भकती के दाता शिव शंकर डमरू वाले
भीमा नाम की नदी यहाँ पर भक्त करे इसनाँ
भक्त हदारों करते पूजा शिव का लगाए ध्यान
भीमा शंकर जो तिरलिंग आसाम भी बतलाए
भीमा शंकर के दर्शन का सब ही लाब उठाए
अपने भक्तों पे शिव जी किरपा बरसाते हैं सब के काम बनाते हैं
शिव सरूप जो तिरलिंगो के दर्श कराते हैं हम कथा सुनाते हैं
जई शिव के पावन धाँ जै जै शंकर भगवान
जै जै शंकर भगवान जै शिव के पावन धाँ
भावाविश्वनात जो तिरिलिंग
काशी में बतलाए
भवबंदन से मुट्व करे पाकों से मोक्ष दिलाए
काशी विश्वनात की महिमा सबसे बड़ी बताए
काशी की संकरी गली से मंदिर को हम जाए
वारानसी की पावन भूँई शत्षत सीशिनवाए
बहुत पुरानी परंपरा को आज भी सभी निभाए
सबकी कामना पूरण करते काशी के महराज
मंदिर पर सोने की धजा है देखे सकल समाज
भक्त विदेशी दर्शन को काशी में आते हैं प्रभू के दर्शन पाते हैं
चिव सरूप जो तिरलिंगो के दर्स कराते हैं हम कथा सुनाते हैं
जै शिव के पावन भाव जै जै शंकर भगवाद
जै शिव के पावन भाव
तुम्हें कराएं ये जो तिरलिंग महाराच नासिक में तुम्हें बताएं
मंदिर भीतर चोटे चोटे शिवलिंग तुम्हें बताएं
ब्रह्मा, विश्णु और महेश के ये प्रतीक बतलाएं
मंदिर के पीछे एक अमरत कुंड यहाँ बतलाएं
त्रेंब, केश्वर, सिवधर, शंते सारे दुख मिट जाए
मनो कामना पूरी होती मन इच्छा पल पाते त्रेंब,
केश्वर,
महाधेव हैं चमतकार दिखलाते
एक लोटे जल से बाबा राजी हो जाते हैं सब के कश्ट मिटाते हैं
शिव,
स्वरूप,
जो तिरलिंगो के दरस कराते हैं हम कथा सुनाते हैं
ज़ेव शिव के पावन धान्
जै जेव संकर भगवान
जै जेव संकर भगवान
जेव सिव के पावन धान
विणिधाम
भाव से करे जो दर्शन तारे ही सुक पाता
श्री नागेश्वर परमेश्वर है मुप्ति के प्रदाता
जो तिरलिंग के दर्शन से सब पाप पुन्य मिठ जाते
महादेव जी इस रूप में दर्शन यहाँ दिखाते
जैनागेश्वर जै परमेश्वर शंभु दया निदान
करोडया हम भक्तों पर हे महदेव भग्वान
दर्शन देते महाप्रभू जो लगन लगाते हैं शिव का ध्यान लगाते हैं
शिव सरूप जो तिरलिंगो के दरस कराते हैं हम ख़ता सुनाते हैं
झे शिव के पावन धान Allen Shivgit而ाहिल था
जे, जे शकर भगवान kidna sinful Nandhikar
dad Bradford
जे शिव के पावन धान Allen Shiva ki paavan dhaan
छिता भूम्री परवेदनात का मूझ है ।
Chita bhoomi paravednaat ka muj hai ।
शूक्स्म रूप से आओ तुमको इसकी कथा सुनाएं।
इस शिवलिंग को रामन जब केलाश से लेकर आया,
लगुशन का जब लगी तो एक गौले को इसे थमाया,
भार न सहपाया वो
गौलालिंग को यहीं जमाया,
इसी जगा पर वैदनात बतलाएं। पूजा होने
लगी तबही से यहीं पे तुम्हें बताएं।
काउड काजल भक हजारो शिव के शीष चड़ाएं।
चमतकार यहाँ वैदनात जी हमें दिखाते हैं,
कामना पूरी कर जाते हैं। शिव सरूप जो तिरलिंगो के दरस कराते हैं,
हम कथा सुनाते हैं। जै शिव के पावन धाँ,
जै जै शंकर भगवान।
सेत बाध पेरामेश्वर जो तिरलिंग कर लो दरशन।
महादेव शिव शंकर का इस्तान बड़ा ही पावन।
लंक विजे करने को राम ने शिव का ध्यान लगाया।
प्रकट हुए शिव जी तो राम ने उनसे ये फर्माया।
लंक विजे करूं मैं प्रभु जी वर मुझे को ये दीजे,
जन कल्यान के खाते आपने वात यहीं पर कीजे।
रामेश्वर शिवलिंग रूप में तब से ही बसे हैं।
दर्शन करते भक्त हजारो लील प्रभू रखे हैं।
राम नाम से रामेश्वर ये धाम बताते हैं। हम सब शीश जुकाते हैं।
जे शिव के पावन धांद जे जे शंकर भगवान।
देव सरोवर में घुषमेशवर जोतिर लिंग बताये
आओ भक्तों इनकी तुमको रोचक कता सुनाये
सुदेह नाम के एक इस्त्रीनी संतान बतलाये
अपनी बहन घुषमा को उसने घर अपने बुलवाये
अपने पती का दूज़ा विवा फिर उसके साथ करवाया
घुषमा से फिर पुत्र हुआ तो आनन्द घर में छाया
बड़ा हुआ घुषमा का बेटा उसका ब्याह रचाया
सुदेह को फिर हुई लीर सा पाप ये मन में आया
आगे क्या होता है भक्तों तुम्हें बताते हैं भावक कथा सुनाते
हैं शिव सरूप जो तिरलिंगो के दरस कराते हैं हम कथा सुनाते हैं
जै शिव के पावन धाव जै जै शंकर भगवान
जै जै शंकर भगवान जै शिव के पावन धाव
एक दिन गहरी नीद में सोया
गुश्मा पूत्र बताए
उसी सुदेहाने भक्तों पिर कैसा खेल रचाए
अपनी बहन को मार दिया फिर घर में शोप है
चाया उसने फिर तालाब में उस बेटे का शव पिकवाया
गुश्मा चिन्ता छोड़के फिर शिव जी का ध्यान लगाए
सो शिव लिंग बनाकर वो शिव की पूजा करवाए
करके विशर्जन घर को चली तो देखा खेल बड़ा है
शिव की कृपा से जीवित बेटा समक उसके खड़ा है
अपने भक्तों को शिव शंकर दुखी न करते हैं उन पे कृपा कर जाते हैं
शिव सरूप जो तिरलिंगो के दरस कराते हैं हम कथा सुनाते हैं
जै शिव की पावन धाँ जै जै शंकर भगवाण
जै जै शंकर भगवाण जै शिव की पावन धाँ
गुष्मा की सोतन कमार ने शिव जी तृशूल उठाये
हाथ जोड़ कर गुष्मा बोली तरभू न क्रोध दिखाये
ख्षमा करो अपराद बहन का देदो ख्षमा का दान
अगर प्रसन हो मुझसे तो मेरी विने सुने भगवाण
इस संसार की रक्षा करने यहीं पे करो निवाद
गुष्मा नाम से प्रसिद हो गए शिव शंकर केलाज
भक्तों से भगवाण का नाता देखो बड़ा निरालाज
अपने भक्तों की रक्षा करता है डमरूवाला
हम भी शिव शंकर के नाम का सुमिरन करते हैं
शिव का घ्यान लगाते हैं
शिव सरूप जो तिर्लिंगो के दरस कराते हैं
हम कता सुनातेहैं
जय शिव के पावन धा,
जय याशंकर भगवाण
जय जय शंकर भगवाण,
जय शिव के पावंदधा
Đang Cập Nhật
Đang Cập Nhật
Đang Cập Nhật