रिशी मारकंडे ने पूचा जबी दया करके ब्रह्मा जी बोले तभीके जो गुप्त मंत है संसार में है सब शक्तियां जिसके अधिकार मेंहर का जो कर सकता उपकार है जिसे जपने से बेडही पार हैपवित्र कवच दुर्गा भलशाली का जो हर काम पूरा करे सवाली कासुनो मारकंडे मैं समझाता हूं मैं नव दुर्गा के नाम बतलाता हूंकवच की मैं सुन्दर चोपाईनव दुर्गा का कवच ये पढ़े जो मन चित लाएउस पे किसी प्रकार का कभी कष्ट ना आएकहो जै जै महरानी की जै दुर्गा अश्ट भवानी कीकहो जै जै महरानी की जै दुर्गा अश्ट भवानी कीकहो जै जै महरानी कीये दुर्गा अश्ट भवानी कीपहली शहल पुत्री कहलावेदूसी ब्रह्मचारनी मनभावेतीसी चंद गटा शुब नामचौती कुष्मान्डा सुख दामपाँची देवी असकंद माताछटी का त्याजी विख्यातासाथी काली राती महामायाआठी महा गोरी जग जायानोवी सिती धाती जग जानेनव दुर्गा के नाम बखानेमहा सकट में, बन में, रन मेंरो कोई उपजे निज तन मेंमहा विपत्ती में, व्योःहार मेंमाँ चाहे जो राइ दरबार मेंशक्ती कवश को सुने सुनाएमन कामना सिदी नरपाएचामुन्दा गै प्रेत परवैश्णवी गरुडसवारबैन चड़ी महेश्वरीहाथ लिये गत्यारकोहो जै जै महरानी कीये दुर्गा अष्ट भवानी कीकोहो जै जै महरानी कीये दुर्गा अष्ट भवानी कीहंस सवारी वाराही कीमोर चड़ी दुर्गा खोमारीलक्ष्मि देवी कमल असीनाब्रह्मी हंस चड़ी लेवीनाइश्वि सदा बैल असुवारीभगतन की करती रक्वारीशंक चक्र शक्तित शूलाहाल मुसल कर कमल के फूलादैतिनाश करने के कारणरूप नेकी ने है धारन बार बार चर्णन सिरनवाओ जग दंबे के गुन को गाओकश्ट निवारन बलशाली मा दुष संगारन मा काली मा कोटी कोटी माता प्रणाम पूरन की जो मेरे कामदया करो बलशाली मी दास के कश्ट मिटाओ चमन की रक्षा को सदा सिंग चरी मा आओकहो जै जै महरानी की जै दुर्गा अश्ट भवानी कीदुर्गा अश्ट भवानी कीदुर्गा अश्ट भवानी कीपूरव तिशा में एंदरी, दक्षिन में वारागी मेरी, नैरित्य में खड़कार नी, वायू से मामरिक वागी नी, पश्च में देवी वारु नी,उत्तर में मा कुमारी जी, इशान में शूलधारी जी, ब्रह्मानी माता अर्श पर, मा वैश्णवी इस फर्श पर,चामुदा दसो दिशाओं में, हर कष्ट तुम मेरा हरो,संसार में माता मेरी रक्षा करो,रक्षा करो,सनुख मेरे देवी जया, पाछे हो माता विजया,अजिता खड़ी बाय मेरे, अपराजिता दाय मेरे,ओ द्योतिनी मा शिकागी, मा उमा देवी सिरकी,माला धारी ललाद की, और भिग्डी की मा यशस्वनी,भिग्डी के मात त्रहनेतरा, यमगंटा दोनो नासिका,काली कपोलो की, करन मूलो की माता शंकिरी,नासिका में अंशि अपना, मा सुगंधा तुम धरो,संसार में माता मेरी रक्षा करो,रक्षा करो,उपर वा नीचे होटों की मा चर्च का अमरित कलीजीवा की माता सरस्वती दातों की कौमारी सतीइस कंठ की मा चंडी का और चित गंता घैंती कीकामाखशी मा धोडी की मा मंगला इस्वानी कीगरीवा की भत्र काली मा रखशा करे पलशाली मादोनों बुजाओ की मेरे रक्षा करे थनुधार नीदो हातों के सभांग की रक्षा करे जगतार नीशूलेश्वरी पूलेश्वरी महादेवी शोक विनाशी नीछाथी स्थनों और कंदों की रक्षा करे जगवासी नीरिदै उदर और ना भीके, कटी भाग के सब अंग की, गुमेश्वरी महपूत ना जग जन्नी शामारंग कीगुटनों चंगाओं की करे, रक्षाओ विंद्वासनी, तक्खनों वापाओं की करे, रक्षाओ शिव की दासनीरक्त मास और हटियों से जो बना शरीर, आतों और पितवात में बड़ा अगन और धीरबल पुत्ती आहंकार और प्रान पान समान, सत्रजतम के गुनों में फसी है ये जानधार अनेकों रूप ही रक्षा करियो आन, तेरी प्रिपा से ही मानचमन का है कल्यान, आयू यश और कीरती, धन संपत्ती परिवारब्रह्मानी और लक्षमी, पार्वती जगतारविद्या दे मा सरस्वती, सब सुखों की मूल, दुष्टों से रक्षा करो, हाथ लिये त्रिशूलभैरवी मेरी भार्या की रक्षा करो हमेश, मान राज दर्बार में देवे सरा नरेशयात्रा में तुख कोई ना मेरे सर पर आए, कवच तुमारा हर जगा मेरी करे सहाएएजग जन्नी कर दया इतना दो वरदान, लिखा तुमारा कवच येपड़े चाहाएजो निष्टे माल, मनवाँ चित फल पाए, वै मंगल मोद बसाएकवच तुमारा पड़ते ही, नव निधी घर आएब्रह्मा जी बोले सुनो मार कंडे,ये दुर्गा कवच मैंने तुमको सुनाया रहाआज तक ता गुप्त भेद सारा, जगत की बलाई को मैंने भतायासभी शक्तियां चक्की करके एकत्तित हैमिट्टी की दे को इसे जो पैनायाचमन जिसने शत्धा से इसको पड़ा जोसुना तो भी मुमांगा वरदान पायाजो संसार में अपने मंगल को चाहे तो हर दम यही कवच गाता चला जाबियाबान जंगल दिशाओं धशों में तु शक्ति की जैजे मनाता चला जातु जल में, तु थल में, तु अगनी पावन मेंकवच पहन कर मुस्कुराता चला जानिटर होगी चर्मन जहां तेरा चाहेचमन कदम आगे बढ़ाता चला जातेरा मान धनधाम इससे बढ़ेगातु शता से तुरगा कवच को जो गाएयही मंत्र तंत्र यही यंत्र तेरायही तेरे सर से है संकट हटाएयही भूत और प्रेत के भै का नाशकयही कवच शद्धावा बढ़ाएइसे निथ प्रती शद्धा से पढ़केजो चाहे तो मुमांगा वरदान पाएइस सुस्तुती के पाठ से पहले कवच पढ़ेकृपा से आद भवानी की बल और पुद्धी बरेशद्धा से जपता रहे जगदंबे का नामसुख भोगे संसार में अंत मुक्ति सुख दामकृपा करो माते श्वरी बालक चमल नादानतेरे तरपे आगिरा करो मैया कल्याकरो मैया कल्या