पावन बबेला सुहावन भाईलपा
दुलहा दुलहिन के जोड़ा मनभावन भाईलपा
एक वरी हरदी जान तल जाता, एक वरी सेहरा पान हल जाता
पूरा धाना वहाँ के चौह के पराणी हो, दुलहा लागे राजकुम और दुलहिन लागे राजराणी हो
डाल पे चड़ावल जाता गेहना, हार मंगल सुत्र छागल कंगना
मंगल गीत होता, कुल ही पूरा गीत होता, बेखा चौह काता ते पूरा यांगना, भाईलोहता से धारले पानी हो, दुलहा लागे राजकुम और दुलहिन लागे राजराणी हो
पापा करेले कन्यादान हो, दुलहा करेले सैनुरदान हो
खेरा खूमल जाता, जुटल या तूटनाता, घर बाबल के होता विराण हो, सुरुजीन की के दाया बाक कहानी हो
दुलहा लागे राजकुम और दुलहिन लागे राजराणी हो