दुख, पीड़ा और कश्ट ऐसे सब्द हैं जो हर मानव के जीवन में हैं, अरे मानव छोड़ो हमारे प्रभु श्री कृष्ण जी भी इनसे नहीं बच पाए, सारी गाथा सुनाने के लिए मेरा ये जीवन भी कम पड़ जाएगा और आपका सुनने के लिए,तो इस गीत के माध्यम से मैं तुम्हे कृष्ण जी के जीवन में आए कुछ कश्टों से अवगध कराता हूँ, जिनको सुनके तुम कहोगे, अरे हमारे कश्ट तो इनके आगे कुछ भी नहीं है, कुछ भी नहीं है।गर कश्ट तुम्हे बतलाने बैठा, सुनते सुनते रो दोगे, और सचे हिंदू हो तो सुलो, अपना या पा खो दोगे, मैं एक एक इतिहास का पन्ना खोज के सामने रख दूँगा, पहले तुम मेरी बातें सुनो, फिर तुम्हे भी कहने का हक दूँगा, अरे कृष्णगीता ज्ञान के गुरूर, तुम तुछ मानव हो, कश्ट तुम्हारे उनके आगे भिकें, बाई कौर से सुनना एक एक, मैंने सबद सोच के दिखें, आपके माता पिता को कोई गाली भी दे देता है, तो उसका गला पकड़ लेते हो, और वहाँ तो उनके माता पिता को जेतरो तार दी, अरे जनम भी जिसका जेल में हो, वो कितना फाक्या साली है, उस नन्ने से बालक के उपर विपदा आने बाली है, कृष्णा के रक्ष के प्यासे, उनके मावा कंस उडीक में, उस मूर्व को अब कौन बताए, आंत तेरा नज़दीक में है, बाई मावाप से �जुदा होने के ख्याल से भी हम लोग टर जाते हैं, और वहाँ तो उनको जनम होते ही अपनी मा से अलग होना पड़ा, जब काना जी का जनम हुआ तो वक्त ही मानो थम गया, वहाँ एक एक जो सैनिक था, वो बर्ब की भांती जम गये, वसुदेव के बंधन तूट गये, वबीजी बरके मा देखना पाई, पुत्र को दूर ले जाना प्रा, माता पिता से जुदा होने का भी तुख, भूले ही थे, कि कंस ने उनको मारने के लिए राक्सस बेजने शुरू किये, काना को मरवाने के लिए माया चाल बिचाया था, पूतना थी आई तो कभी बका सूर �भी आया था किन्तु नन्ने से कृष्णा को मार नहीं कोई पाया था नाग काल या कोई अमना से कृष्णा ने भगाया थागोवरदन परवत की पूजा की तो इंद्र रूट गए उसने या के एहंकार में रोतर रूप दिखाया थामुसला धार वर्सा करके सब पे कहर बिठाया था इंद्र के परकोप से फिर काना ने बचाया थागोवरदन परवत को अपनी उंगली पे उठाया थाकृष्णा जी के जीवन में आये कश्टों की कोई गिंती नहीं पर फिर भी उन्होंने हस के करम किये और किसी को सुनाया भी नहींजिसमा ने जनम दिया उससे पालपन में दूर हुए जिसने पाला पोसा उसको छोड़ने पर मजबूर हुएप्रेम राधा को किया तो भ्यान नहों पाया प्रभुके मन में था जो कोई समझ न पाया वो क्यारा साल के थे जब कंस को हराया और जाके मतुरा में धर्म फिर से फैलाया14 साल कैद में थे माता पिता को छुड़ाया और रोते रोते उनको अपने गले से लगायाप्रेम तो कृष्णा ने रादा से ही किया थाकिन्टो उनको आठ साधिया करनी पड़ीसुनियो उसके पीछे की कहानीमाता रुकमणी ने कृष्णा जी को मन ही मन सविकाराजवरन साधी हो रही थी कृष्णा को पुकाराबोली कृष्णा या तो मुझी अपनी पत्नी बनाओया फिर आके मेरी लास को अगनी दे जाओप्रभु हुए थे भी वस्त उनको साधी रोगने चाना पड़ासिसुपाल के मंडब से रुकमणी को भगाना पड़ाअर्जुन को था सार्थी बनाया रुकमी को हरायामहाभारत के युद में खुद को सार्थी उनका बनायातो ऐसे हुई थी कृष्णा जी की पहली साधीबाकी भिवा का वर्णन आगे सुनीमनी चोरी का आरोप श्री कृष्ण पर लगायामनी बापिस लाने खातीर जामबत को हरायाजब हारे उनको राम दर्शन हुए कृष्णा मेंभूल को सविकार हाथ पुत्री का थमायानाम था जामबती उससे प्यापी रचायाआये लेके द्वार का में रानी भी बनायाउसे लेके आए द्वार का में राणी भी बनायामनी चोरी का आरोप लगाउसे लेने के लिए गए तो साधी होगीउसे लोटाने गए तब भी एक साधी हुई थीमनी सत्राजित को सौंपी तो वो हुआ था सर्मिंदापुलबाप करना प्रभु मैंने की थी आपकी निंदामेरी फूल को सुधारने का मोका दे दो नाथमेरी सत्याफामा पुत्री इसका थाब लीजिए हाथऐसे तीजी हुई साधी सत्याफामा को सिविकारातीजी हुई साधी सत्याफामा को सिविकारातीन साधियों के बाद उनको अन्या पांच साधिया करनी पड़ीउनके नाम और वो साधिया कैसे हुई आगे सुनोसूर्या पुत्री काली दिने कड़ी की तपस्याउनको कृष्णा से ही करनी साधी किन्तू बड़ी समस्याफिर काना ने सविकारा उनको वन में ही जाकेउनको पत्नी था बनाया रखा द्वार का में आकेमित्र विन्दा को ओ चैन से स्वयवंबर में बरलाएऐसे लक्ष्मणा, सत्या, भद्रा सबको कृष्णा थे अपनाएऔर द्वार का में दिया समान राणी भी बनायाद्वार का में रखा उनको राणी भी बनायाअरे मित्र ता करो तो कृष्णा और सुदामा जैसीकि एक मित्र को तकलीफ हो तो दूसरा बिन बताये समझे दोसुदामा मिलने उनको आया, द्वार पालों ने भगाया, उसने खुद को स्री कृष्णा जी का मित्र बताया, सब हसने लगे उन पे और मजाक भी उडाया, गाना दोड़ आये, उनको अपने कले से लगाया, और परम मित्र होने का परमान भी दिखाया, उसके चर्णों को खुपहले पनाया, कृष्णा जी की आठ राणियों के अलावा, अलग सोला जार पत्निया थी, वो कैसे बनी, इसका राज भी सुनिये, सोला जार कन्या कैद में थी, उनको था चूडाया, नरका सुरुख को भी मारा, सबको उनके घर पोचाया, इतने साल किसके साथ में थी, सबजाने खातिर उनसे प्यार रचाया, और द्वार का मेलाए, अधिकार भी दिलाया, द्वार का मेलाए, अधिकार भी दिलाया, क्या हुआ अगर आपको पही एक गाली दे, आप उसकी कर्तन पकड़ लोगे न, लेकिन कानाजी को उसीशुपाल ने सो गालियां दी थीत्रोपति की लाज रखी उसके मान को बचायाभरी सभा में हो रहे वस्तर हरन से बचायाफिर श्त्री मरे आदा खातिर धर्म युद्ध रचायाअर्जुन हुए जो बैबीत उसको गीता क्यान सुनायातब जाके उसको अपना यता रूप भी दिखायाउसके हाथों सब पापीयों का नास भी करायादेके श्राफ अस्वाथामा को फिर अमर भी बनायाअपना नाम देके परबरीक को खाटूश्या बनायानाम देके परबरी को खाटू शाम बनायाअपने ही वन्स का अंत होते उन्होंने अपनी आंखों से देखा थातो सोचिए इससे बड़ी पीड़ा उनके लिए क्या ही होगीबीचो बीच सम्मंदर में एक नगरी बसाईबड़े प्यार से बनाई और त्वार का कहलाईकिया कौरबो का नास, मिला गांधारी से श्रापउनके स्राप से ही नगरी जाके सागर में सम्माईअपने आखों से ही होते देखा वन्स अपने का नासकिन्तु देखन में ना कृष्णा लागे थोड़े भी उदासजाके जंगल में बैठे सोने लगे प्रिक्स के नीचे दिखेहीरन की फाती खड़ा शिकारी दूर पीछेउन्हें करम करना आता था और धर्म को अपनायाऔर खुद का अंत बाली रूपी चरा से करायाबाली को त्रेता युग में सिरी राम ने छुप कर तीर मारा थातो द्वापर युग में उसी बाली का जनम एक सिकारी के रूप में हुआजो करम किये हैं उनका फल बुगतना पड़ता हैचाहे इस जनम में नहीं तो अगले जनम में सईवो दूसरों को धर्म का ज्यान देते थेतो खुद के लिए कैसे नया नियम बनातेदुख जेले पीड़ा जेली फिर भी अपने करम कियेऐसे ही नहीं वो कृष्णा कहलातेराधे राधे
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