काहे बलट कल लोला हो
ये धन्या कुछ बोला हो
तोहरा राहन पे सुनिलाहा मत पारा चोडाता
जब से देखनी वो कर डीपी
तब से भी भी बढ़ाता
जब से देखनी वो कर डीपी तब से पी भी पढ़वाता
जे के पाके खुस बारा वही के राख लिहा
ठंके छोडा अब वही के मुह ताक लिहा
अरे का परसानो जुण मुढ़का तोहरा इसका चलिए वो
किता कहत बात बारू दिल पे मारत लात बारू
खाली देख के पोटो तूता छूठे के गरमा हात बारू
छूठे के गरमा हात बारू
जब से देखनी वो कर डीपी तब से पीपी बोड़ाता
जब से देखनी वो कर डीपी तब से पीपी बोड़ाता
जोडले बाडू धनिया कउने जाल में फसके
हमसे तु मुह मुझले बाडू हमसे मुह तु मुझले बाडू
यही रहन पर छोड़ी मन की एको रोता
जब से देखनी वो कर डीपी तब से पीपी बोड़ाता
जब से देखनी वो कर डीपी तब से पीपी बोड़ाता
तब से भी भी बढ़ाता
चला उठा खानाओ ना जा
पहले फर यालतो