तू और मैं जाने हम कहो गए
संथे चले
दोनों तनहा हो गए
हारी हारी सी सासे
सूनी सूनी सी बाए
इरहों में फसने लगे
पिश्टे के
इतना कुछ कहना था तुमको
इतना कुछ कहना था मुझको
दोनों के ओठों पर भिर हामोशी रही
क्यूं यूं बढ़ गई
तरी मेरी मजबूरिया
क्यूं बस रह गई
अब दर मेरा ये दूरिया
लंभी इन रातों में अशकों से नाते हैं
यादों की चादर को ओड़े सोते हैं
क्यूं दोनों हम हे राहें
दोनों परेशा हैं
संग हैं दोनों फिर भी तनहा रोते हैं
क्यूं ये प्यार की मनजलें भी हैं
जैसे ख़फा
बेजारी सी है तेरी और मेरी वफा
हारी हारी सी सांजें
चूनी सी इसी बाएं
तिरहों में फसने लगे पिश्टे ये कहें
इतना कुछ कहना था उझको
इतना कुछ कहना था तुमको
दोनों के ओटों पर फिर भी हामोशी रही
तुम और मैं जान होंगा खोगे
सांग थे चले
दोनों बतन हाँ होगे
सांग थे चले