के नेड पदा रात अननेड रात अननेड नेड नेड मिलानपन जाना शु परितडी जो ने पहली नेड कराके प्रेम चनद ना जाडवा अनने रो प्या रो प्या रुदिया माईए कमण कराते कन जी जो ने रादा जी शरमाए निदर नयावे नेड ले भनवेराण थयचे परितए पल पल परितम हंभ रे चक डोले चड़ीं चहचीतए के वहलिय थमभी गया औने हरखी उठी वनराईए पन अनतार घटे अनतर बजे ए वली परित नी मिठी शहनाईए के सजान विसारा न विसरेअरे जथी मध्याने पण मने पलपल हयडे हमबरेअरे जयम बपयाने मे हमबरे