भीगे नहीं हम दोनों हैं कब से
बीटा है एक अरसाँ
बूंदर मजिम बरसे हैं पर
जैसे कब से आई ना बर्खा
ऐसे जो तेरी याद जलाए हैं
पानी से ना बुझपाए
बादर मन को वैलाना है
कैसे समझ ना पाए
बादल बरसे दिन रहना रात न बीटे पिया बेना
बूंदों से लपटा बदन मेरा तेरी यादों में बसा मेरा दिल है न
चैन मुझे के पल की नहीं है तेरी चूआन की तडबन रे
सीने से दिल
भाग रहा है भागे मेरी धड़कन दे
अंग से यैसे मुझे कूल गाले सांस को एक कर दे
बेखना अब काफे नहीं है डूबों तुछ मेरे
ख़ब में ना मुझे को तू सता अब कैसे तुझे समझाऊं
अब न तेरी एक पल की जुदाई मैं तो सह भी न पाऊं
बादल पर से दिन रहना रात न बीट पिया बेना
बूंदों सिल्पटा बदन मेरा इन यादों में बसा मेरा दिल है न