थोड़ी खुशी अधूरी थी पर वो जिन्दगी जरूरी थी
दिन पर दिन बस गुजरते गए मैं जीना भूल गया
कपड़ा काड़ी मकान था सौबा पे बस एक सवाल था
क्या जिन्दा रहना ही जिन्दगी है मैं हसना भूल गया
दिल ही दिल में कुछ ऐसे सवाल मैंने पूछे ना कभी
दिल ही दिल में बस एक ही आवाज तु सुन भी ले कभी
दिल की सुन रहा ना तू सपने बुन रहा ना तू
खुद को सुन रहा ना तू दिल की सुन रहा ना तू
Ladies and Gentlemen, Raghav Miyatla
रोज एक ही सवाल था इस सिंदगी में क्या रखा
दूसरों की खुशी में खुद को ही भूल गया
चला हूँ मैं सपने हजार बक्सों में बन खुल गये आज
देख के कहते हैं सब तू जी रहा मेरा क्वाल
दिल ही दिल में कुछ ऐसे सवाल
मैंने पूछे ना कभी
दिल ही दिल में बस एक ही आवाज
तु सुन भी ले कभी
दिल की सुन रहा ना तू
सपने बुन रहा ना तू
खुद को चुन रहा ना तू
दिल की सुन रहा ना तू
सुन रहा ना तू
सपने बुन रहा ना तू
खुद को चुन रहा ना तू
दिल की सुन रहा ना तू
ने रहना तू
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