माटी मेरे
देस की
माटी मेरे देस की कन कन कनक समान
किरने चूआत उसको लाली मा करे प्रनाम
माटी मेरे
देस की
नव प्रभात कलिया खिली
पंची भरे उणा
प्रकृति के आचल में
प्रकृति के आचल में संजीवनिव सुन्धरां
वन्धना हम करे मात की
वन्धना हम करे
मात की शत शत करे प्रनाम
माटी मेरे देस की कन कन कनक समान
किरने चूआत उसको लाली मा करे प्रनाम
माटी मेरे देस की
अमरित रस बरसाती हुई बल खाती जल की धारां
जीलों सा
होशी तल्मन नदियों सी निर्मल कायां
जंगल परवत छटा छटा नाँ
जंगल परवत छटा छटा फुलवारी है पहचान
परतेस का गाल चाहिए भेद हो या पुरान
माटी मेरे देस की कन कन कनक समान
किरने चूआत उसको लाली मा
करे प्रनाम
माटी मेरे
देस की