सवक चत्तासी,
वराद चत्तासी
देखी के हो मरो कपको तलाँ
तोनी उसा हमारा के देदो उधाँ
तोनी उसा हमारा के देदो उधाँ
फोले बारू पागल भारी,
पेल ही धोरी के निचाज दूसारी
देखी थी बरो जीवर मेला कल पयाग,
देभू तो हमारो हो जाग जाई भाग
धार ले बारू पे बागी,
पेल ही धोरी के निचाज दूसारी
फोले बारू पागल भारी,
पेल ही धोरी के निचाज दूसारी
मन करता की दिही उघारी,
भोले ये जानो होई मारा मारी
मन देहलू बीगाधी, पेल ही धोरी के निचाज दूसारी
भोले बारू पागल भारी,
पेल ही धोरी के निचाज दूसारी