अक्षिक्षे न खानि कल्दे
अक्षिक्षे न खानि कल्दे
अक्षिक्षे न खानि कल्दे
अक्षिक्षे न खानि कल्दे
हम तुम दयाम बने
आदिनी जिगे उपल जे
किसको रादात सुप्भूजाये
उज्रि लेले माकि आले
अधिस्क्रे न खानि कल्दे
अक्षिक्षे न खानि कल्दे
मूझे के बेख निकल जे
उदी गोरा
अक्षिक्षे न खानि कल्दे
वच विक्रणें ग्जरें से, वाल्खी जो ने चिट्टे, चिट्टे, ने लिखा दिखनें।
मुण्ता दैजाल अपने गाली तरे गहोता
मुण्ता दैजाल अपने गाली तरे गहोता
दे� skend gend ते इधाना कर कर ते धारि रोटा
वो शकति तरी भी मुगल से वो शकति तरी भी आता हूँ भी पल से
कुझे बोला वक्त पुराने कुझे बेले वर्णे
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06:17