निन्नजी जी संदीब श्राज
धुखा कैलू बेजान लेके गईलू परान
तुहर माना वाग के धीर पुरा भय किना हो
जवन चहर बेजान दवन भय किना हो
प्यारा
अपजाओ के कैलू बेकार हो,
औरिखात प्यार काहिं रहन बेकारार हो
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जड़िसे तुहारा गिरे गयी की ना हो
जवन जहन वे जन तवन भयी की ना हो
संधीविस राज़ा
हाथवा में हाथ धोके कोईले रहनु बादा
तब काहे कृषिन
के छोड़नु बे दादा
हाथवा में हाथ धोके कोईले रहनु बादा तब काहे हरिंदर के छोड़नु बे दादा
तुहार वादा से प्यार जुख गयी की ना हो
जवन जहन वे जन तवन भयी की ना हो