कहीं साज़िश,
कहीं जाल है
हर मोड पे सवाल है
ये खेल कैसा, ये खेल है कौन
पसे का भूखा हर इनसान
वो खे का खेल, हर दिल में जूत का मेल
सच को दबा दिया,
लालच में सब खा लिया
पैसों के पीछे दाड़े सबी
सबी, सबी, सबी, सबी
सच और जूत की खोई जमी
सब्नों को बैचा खौर मिटा,
इस खेल ने हर रिष्टा छपा
हो खे का खेल,
हर दिल में जूत का मेल सच को दबा दिया,
लालच में सब खा लिया
जूहों के का खेल,
हर दिल में जूत का मेल
सच को दबा दिया,
लालच में सब खा लिया
लालच में सब खा लिया
पैसों के पीछे दोडे सभी
सबी, सबी, सबी, सबी, सबी
सच और जूत की खोई जमी
जमी,
जमी,
जमी
सब्नों को बैचा खौर मिटा,
इस खेल ने हर रिष्टा छपा
sacrifice
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