dlalala...
thiktala...
कैसा है तू
कैसे है सब
पूछे है ख़ैरियत
पर देखे है जियत सब
पता चला सिफ प mock open
पैसो से रिष्टे है
तो अम मेरे सिफ पैसो से रिष्टे है
हा मैने चीत देखी
हा मैने हार देखी
तेड़ा बनके चलना पर तवर ना नेकी
मार देगी सड़ों पे मार देगी
अपनों में खार देगी
कतले आम की कबरे अगसर कबरे तो आम देगी
देखी साब सीडी बाते लिखू साब सीडी
किसी को भी सुननी नहीं या पे मेरी आप भी दी
लिश्तों में राजनिती किसे बस जाई
ताक के हिसे ना खाक मिली
खिष्टों में हार मिली
देखी कितनी शकल गई पल में बदल
मेरे सीने में क्यों होती हर पल हल चल
हर पल चंचल मन कर बगतर
अब दिल मेरा खाली गर लगे खंडर
खुमानी मैं दुनिया जहानों में कभी क्योंकि पहले से ही मैंने देख लिया सब शायद
पुरा वक्त भी दिखा के जाएगा एक जादू तो खाली दस तक किन हो जाएंगे सब गया
ऐ खुदा मुझे क्या हुआ क्यों लगता ये बेगाना
तू बता मैं हूँ कहां मन्जिल की राण दिखला ना
देखता ना... यहां अपनों में अपना कोई देखता ना
देखता ना... सला सच्ची में सच्चा कोई रिष्टाना
देखता ना... यहां अपनों में अपना कोई देखता ना
देखता ना, देखता ना, देखता ना
साला सची में सच्चा कोई रिष्टा है ना
देखता ना, देखता ना, देखता ना
देखता ना, देखता ना, देखता ना
आसू तो रोज आएं पर कोई ना पहुँच पाए
जाना कहां सूचता भी नी, हो बुके पेट नाइंगे पाओं तो कोई थूकता भी नी
सवाल का जवाब देने से बने का रोड़ पती लेकिन हम जैसो को या कोई पूछता ही नी
बेना ताने खाएं मिलती है तालिया भी ना
मिलती कामी आभी तो ये देखे खामी आभी ना
काफी कलती अभी करी कलती से उसी का भी मैं
ये दुनिया है किताब तो बात ही किताबी है
चुनौदिया है लोग, है क्या इसमें कोई शक
रोज बोलू भगवान से नफ जिनफ
काश मिले होते कम गम रहे
हमें भी कोई मिले होते हम दमरे
गुटते हैं अंदरी अंदर से
अब छुबते हैं मुझे कोई बद कमरे
मैं सो पाऊं कभी चैन से
ऐसे भी दिन दिखला ना
खो जाओंगा भीड में
तु हाथ थाम लेगा ना
दिखता ना, दिखता ना, दिखता ना
दिखता ना, सला सच्ची, मैं सच्चा को रिष्टा ना
अपनों को देखा अपनों से लड़ते
तो अपना है कौन, आया एक सवाल
गैरों को देखा, मैंने जक्मों को बरते
तो अपना है कौन, फिर आया एक सवाल