Nhạc sĩ: Bhanubhai Vora
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मोते नलू मांडियू जम जडाफा खाए
मोते नलू मांडियू जम जडाफा खाए
इनने छोरुनी चिंता थाई, इनने क्यम विहरीं कागडा
जननेता मरन पतारीये पड़ी होई
जमने जिवने खेटान थती होई
अनहामे काल उबो होई
तक्यारे ये पशुनी मा होई,
मनुषनी मा होई, क्योंकि भगवाननी मा होई
पर येने चिंता कौनी होई?
पोताना संतान नी चिंता थाई
अना आवे जननेता ना प्रेमनो वर्णन
कवी काग करेछे,
भगत बापू लखेछे
खर्णी वन मा चारो चरवा गई,
अने चरता चरता पारादी केता शिकारी नी नजरे चड़ी,
अने शिकारी ये जोई ने हर्णी ने हमे तीर जाने साई दिऊ,
निशान लगाईवू,
अने कवी ये हर्णी ने वाचा आपी,
अने तयारे हर्णी बोलेछे कवी काग �
तर राम तो शे रखवाल, धावन धावी ले मरं बाल जी,
धावी ले ने मरं बाल,
पचि तर राम तो शे रखवाल, धावन धावी ले मरं बाल जी,
चारो चरती हर्णी वन मा फरती मन मा फाल जी,
पाराधी नी नजरे चड़ता,
एज तीर साज्ञू ततकाल, धावन धावी ले मरं बाल जी,
शिकारी बान सहधी, उतीर लगेवो, निशान लगेवो जा,
अन तयारे हर्णी शिकारी ने कहे छे,
के त्रनेक दिवस पेला एक में आनकडा बचाने जनम आईपोछे,
मुं मारा बचाने छेलू धावन धवरावी ने पाछी आवू,
अने तु पछी मारी मने खाई जाजे,
हर्णी कहे छे,
शिकारी ने,
सु बोले छे,
कि तन जंगल मा मन मधी मा मेझा जनेल बाल जी,
वाचा उपजी वायदो करियो,
एजी आवी भरती फाल, धावन धावी ले मारा बाल जी,
इदोट मुक्ती पोतानी बोखोल मा जा,
बचान जनम आये पढ़तो,
न्या पोते पाछी आवी,
अले बचू पोतानी माने पुछे छे,
कि मा,
तु जंगल मा हवार मा चरवा जाये,
न हाँजे पाछी आवे, पन तरत पाछी का आवी,
अले बचू पोतानी माने पुछे छे,
कि भुखे पेटे एकाज नेता तु आवी ततकाल जी,
कि धावी लेने,
बेटा छेलू धावन,
धावी लेने तु छेलू धावन,
एजि मारो आयेवो हवे काल धावन,
धावी ले मारां बाल जी,
हरनी पोताना बचाने के,
कि बेटा अवे तु छेलू धावन धाविले,
कि जंगल मा एक शिकारी ने वचन आपी न आवी छु,
अन हवे उमरी जावानी माते तु छेलू धावन धाविले,
न मा पोताना बचाने छेलू धावन धाववा के,
तेरे बचू पोताना माने येम केछे,
कि मा जो कदा तु मरी जती होई,
तो मारे तयारा वग़े जीविन शु करू,
मा ते बचू पोतानी माने केछे,
के काले जडपियां,
ए दुद जनेता नई धावे तारुं बालजी,
छोरू ने माता पारादिहा मा,
आवी उभा ततकाल,
धावन धावी ले मारा बालजी.
शिकारी विचार मा पेड़ो कि वचन आपीन हरनी गई,
पर मरवा माते एक ने बढले बे पाँच्चा आयवा शु काम?
शिकारी कहेंचे, कि तु पाँच्ची शु काम आवी?
मने विश्वास नतो कि पाँच्ची आवे तु,
अने त्यारे हरनी जवाब आपे,
कि वचन आपीन जो फरी जाएने,
तु अमार आखव जनावर हरनु जो कूल चे अने कलंक लागे,
अने माते हरनी शिकारी ने कहेंचे,
कि वेन लंपत जो ए थाये विरा तो तो कूल ने लागे कलंक जी,
सत निभावी मोत ने मलशु,
सत निभावी अमे मोत ने मलशु,
एजि तीर तारू संभाल, धावन धावी ले मारां बाल जी,
आम जा कहेंचे,
अने शिकारी आम तीर साधे ने हरनी ने सामे निशान लगेवू,
त्यां हरनी नी पाछल नु बच्चु जे उभूतु,
बालक,
यी आगल विवेवू,
अन आगल उभी अने बच्चु शिकारी ने कहेचे,
के मारी मानी पहला तु मने मारी नाक कारण,
के मारी मा जो धरती छोडे ने पहली स्वर्ग मा वैं ज़वशे ने,
और पछी हूं जैस्तो मारी माने गोती नहीं शकू,
पर पहला हूं जो आजिवन छोडे न विवं जाओ,
और पाछल मारी मा मने जरूर गोती लेशे,
कारण के बच्चु क्याही पर होई नहीं,
मा गोती ले,
मानो येवा प्रेम चे,
और मा ते ये बच्चु शिकारी ने कहे छे,
के मावडी पहला,
ये मने हन्जे बोल्यू बाल प्रेमाल जी,
कागवन मा करुणा प्रगटी, कागवन मा ए करुणा प्रगटी,
चार तीर रज्यू ततकाल धावन धावी ले, मारा बाल जी,
आम जा कहे छी ता शिकारी ने करुणा प्रगटी,
अने कवी एमें कहे छे के तीर नी आख माती,
तीर जे अनी अथी याथी टपक टपक मिडा हुडा पडबा,
अने तयारे शिकारी बेने जीवता जाववा देशे,
के कागवन मा करुणा प्रगटी,
कागवन मा ए करुणा प्रगटी,
एजी तीर रज्यू ततकाल धावन धावी ले, मारा बाल जी,
धावी लेने मारा बाल,
पची तरो राम होगे रखवाल,
धावन धावी ले,
मारा बाल जी.
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