धरती के सिवजी से सवाल हो
दीजे सुर जक्या
अईले सिवजी कैले वचन यारवरा को अनभार बा
खोली के अचरा देखवनी मैं आई का यत्याचार बा
अईले सिवजी कैले वचन यारवरा को अनभार बा
जिन्दा दफनायेल
बेतिकाल हो गयेल बा
दीजे सुर जक्या
तक भर्दास रही दुनिया माने जगी जाने सबत भी
अनके बास रही गौरी गया कटी है कसया कब तक
भर्दास रही
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