धन धन भोले नाथ बात दिये तीन लोक एक पल भर में
ऐसे दीन दयाल हैं भोले कोडी ना रखी गर में
धन धन भोले नाथ बात दिये तीन लोक एक पल भर में
ऐसे दीन दयाल हैं भोले कोडी ना रखी गर में
तथम वेद ब्रह्मा को दिये और बने वेद के अधिकारी
विश्णू को दिया चक्र सुधरसन लच्चमी सी सुन्दर नारी
इंदर को दिया काम धनू और एहरामत सा पलकारी
कुपेर ओ सारी वसुधा का वरदिया तुमने भंडारी
अपने पास पात ना रखा खाली खपर है करमें
ऐसे दीन दयाल हैं भोले कोडी ना रखी गर में
दमरतनो देखें
अरे रावन को लंका देती और 20 बुजाता रही थी अपने
पास पात ना रखा खाली खपर है करमें दमरतनो देखें
गाम चंद्र को दनुस बान और हन्मत को जगतीश दिये
मन मोहन को मुरली देधी मोर मुकट बक्षीश दिये
मुक्पि हे तुकासी में वास और भगत को 20 विश्वे भीष दिये
अपने तन पर वस्त्र ना रखतें बस दी रहो बादंबर में
अपने तन पर वस्त्र ना रखतें बस दी रहो बादंबर में
ऐसे दीन दयाल हैं भोले कोडी ना रखी गर में
नारद को देती वीना और गंधव को राग दिया
कामन को दिया करम कांड और सन्यासी को त्याग दिया
जिस पे तुम्हारी किरपा हुई उसको तुमने अनुराग दिया
देवी सिंग एह बनारसी को सबसे उठम भाग दिया
जिसने गाया उसने पाया ऐसी सक्ती है वर में
ऐसे धीन दयाल हैं भोले कोडी ना रखी गर में
धन धन भोले नात बात दिये तीन लोक एक पल भर में
ऐसे धीन दयाल हैं भोले कोडी ना रखी गर में
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