देवरू तबहारा गईले
देवरू तबहारा गईले सहिया नरिल गारिथ भैले
चककिया चककिया चककीया
दुखावा न सहल जाता,
अबना ही रोहल जाता
तो होलिया में पुर पुर तुटे बादानावा,
ना सजानावा योईले
रोजमा जाके उड़ावेले धीराज, खोलिक करासे खेलबूहो
राजन भाय तो बहराबादे, वैसे रंग टला वैबूहो
दुजी.
दुजी.
दुजी.
राज़खोयातो बाहणा बाड़े कैसे रंग नलवाई
हो जब तरंग सिखा जानावा, नाश्ता जानावा योईले हो
तजो बनाहा तेतावे उराहानावा,
नाश्ता जानावा योईले हो