पैसा के फेरा में हरी भुलाईला
लाकल बसरदी तु घरवान आयीला
ए राजा
पैसा के फेरा में हरी भुलाईला
लाकल बसरदी तु घरवान आयीला
रोज का पिले राजा जी जारां
किते वरा ना जान हमार बुझेन ही सारा के
खड़ा होई जाला धोके पाना के
घर में भुलाईला ता भाग जाला कूटी के
सुथ जाता नत्या रोज ओ सारा में
कता नाल कोई राजा तोह से पिपतिया हो
माख के जाड में सिहर सरे रिया हो
छूटी के रोज जी फारम लगा
कौनो बहाना से घरवा तू आओ हाँ
बातलो भर हो मुरला महारा के
खिते बरा जान हमार बुझेन ही सारा के
खड़ा होई जाला धोके पाना के
घर में बोला ही लाता भाग जाला कूटी के
सुत जाता नतया कुछ हो सारा में
बोलो भी सहाल कबले राही अकेल हो
सुत जाता नतया बाते हमारो कलेस हो
बढ़िया भी कहा सुनायो इसे उड़ाओ
किसना से कहते तू टीकट कराओ
रोजे कूमें सुनिलवा अन्हारा में
देवादा नजान हमार बुझेना ही सारा के
खाड़ा होई जाला धाके पारा के
घ़र में बोला ही लाता भाग जाला कूटी के
सुती जाता नत यारोजे वो सारा में