कतुंद महा काय सोन कोटी समब्रभाग
तिर्विघरम कुरुमे देव सर्वकारे एशु सर्वदा
सर्वदा सर्वदा सर्वदा
दन्पति आया बजे धोर
नाचे रे सारा शहर दिली कोर
हे देवा देवा रे देवा
धन्पति आया बजे धोर नाचे रे सारा शहर दिली कोर
धोल किताप पे दिली ये डोले बपपा के नाम पे हर कोई बोले
धन्पति बप्पा मोरे आँ
धन्पति बप्पा मोरे आँ
धन्पति बप्पा ओया ये देवा
देवा रे देवा
देवारे देवा अलारे अलारे अलारे अलारे गन्पति बप्पा मोरे आ
जे आते ही घर में आ गई सारी खुशिया
जे कारे से गूंगे जे धर्की आस्मा
बप्पा जो पधारे बदल गए नजारे
बप्पा गणिशा की धूम है
आस्मा से आगे तको कोरी घाए
चलके चरन हम चूम ले
धोल की थाक पे दिलिये डोने
गनपती बप्पा, हमोरे
माव करें
शन्पती को पमोरे आँ
खर्दी पप्पा
सासन भासता सब्भागे
सासन भासता सब्भागे
सासन भासता सब्भागे
सासन भासता सब्भागे
सासन भासता सब्भागे
पूजा भी हो रही वंदन भी हो रहा श्रध्धा भक्ती
भाव से अभिनंदन भी हो रहा
पूजा भी हो रही
वंदन भी हो रहा श्रध्धा भक्ती भाव से अभिनंदन भी हो रहा
भक्ती मन में चाई सबके मन को भाई दिल में बसे गजराज है
दर्शन को जो भी आये कैनेश को मनाए लती गडी शुभ आज है धोल
की थाक पे दिल्ली ये डोने बपपा के नाम पे हर कोई मोले
गन्पती बपपा मोरे आ...