Nhạc sĩ: Sunder Kumar
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ये उस समय की बात है
माता जानकी
धनुश यग की तयारी हो रही है
माता जानकी मा गौरी पूजन करने के लिए जा रही है
और रास्ते में जब जाती है उसी फुलवारी में राम जी का दर्शन हुआ
और उसी पर ये प्रसंग आपके सामने कहना क्या है
मिले जब राम सीता से तहलते बाग फुलवारी
राम उन्हें प्यारे लगे सीता भी लगे उन्हें प्यारी
देख कर राम जी
को जनक नंदनी
देख कर राम जी
को जनक नंदनी
बाग में बस खड़ी की घड़ी रह गई
देख कर राम जी
को जनक नंदनी
देख कर राम जी
को जनक नंदनी
देख कर राम जी
को जनक नंदनी
बाग में बस खड़ी की घड़ी रह गई
राम जी को जनक नंदनी
राम देखे सिया और सिया राम को
चारों आंखिया लड़ी की लड़ी रह गई
लिख करे राम जी ओ जनने नदनी
सक्षियों में सीधा के साथ आए हुए सक्षियां माता गौरे की पूजा करने के लिए
जब जा रही हैं वह जी उसी में एक सक्षी बोली
जोड़ी बहुत सुघर बनाई है प्रमात्मा ने
लेकिन ऐसा भारी धनुश कैसे इन कोमल कोमल हाथों से तूटेंगे
यही नहीं समझ में आ रहा है और कहती क्या है
बोली पहली सखी
बोली पहली सखी
जान की की
के लिए
रच दिया है बिधाता ने जोड़ी सुघर
पर्धनों से कैसे तोड़ेगे कोमल कुमर
पर्धनों से कैसे तोड़ेगे कोमल कुमर
मन में संका बनी भी
बनी रह गई
प्रस्तुति प्रस्तुति
प्रस्तुति प्रस्तुति
बोली दुसरी सखी
बोली दुसरी सखी यूं तो छोटे सही
परचमती कार इने के
नहीं जानती
एक ही बाण में
ताड का राक्षत ही
फिर उठी ना पढ़ी थी
पढ़ी रह गई
एक ही बाण में
ताड का राक्षत ही
फिर उठी ना पढ़ी थी
फिर उठी की उठी पर खड़ी रह गई
देख कर रामजीरी को जनने जन्दरी
देख कर रामजीरी को जनने जनने
पीर आये अने को वहां पर खड़े
परधनुसी को है तोड़े शिरीरामजी
कोई फिर भी धनुस को हिलानी
पिर आये अने को वहां पर खड़े परधनुसी को है तोड़े शिरीरामजी
ना सका कोई फिर भी धनों से कोहिला ना सका सब की मास तिकतमी की खड़ी रह गई देखकर रामजी को जलन नतरी बाग में बस खड़ी की खड़ी रह गई
देखकर रामजी को
देखकर रामजी को जलन नतरी
देखकर रामजी को
आग में वो खड़ी की खड़ी रह गई राम देखे सिया और सिया राम को
राम देखे सिया और सिया राम को चारो आठिया लड़ी की खड़ी रह गई राम देखे
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