दर्वाजा खुला रखना
दिल दर्द के शितत से
हूँग अश्ताओं सी पारा
इस शहर में फिरता है
एक वहेशी हो आवारा
शायर है के आशिक है
जोगी है के बंजारा
दर्वाजा खुला रखना
सीनल से खटा उठे
आऊखों से छड़ी बरसे
थागुन का नहीं बादल
जो चार खड़ी बरसे
बर्खा है ये भादों की
बरसे तो बड़ी बरसे
दर्वाजा खुला रखना
आऊखों में तो एक आलम
आऊखों में तो दुनिया है
भोतों पे मगर मोहरे
मूँ से नहीं कहता है
किस चीज को खो बैठा
क्या ढूट दे विकला है
दर्वाजा खुला रखना
शिक्वों को उठा रखना
आऊखों को बिछा रखना
एक शम्मदरी चेती
चौखट पे जला रखना
मायोस न फिर जाले
हाथा से वफ़ा रखना
दर्वाजा खुला रखना
दिल दर्द की शितत से
खुंग अश्टा हो सी पारा
इस शहर में फिरता है
एक वहशी हो मावारा
शायर है के आशिक है
जोगी है के बंजोरा
दर्वाजा खुला रखना