जब जब भी मुझे पे संकत का
कोई घेरा होता है
है
मुरे धर्वाजंपर हनुमान का पह़ा होता हे
classical prayer
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जब से मेरे घर में आये, घर के संकत भाग गए।
हम तो सोते घहरी नीद में हनुमान जी जाग रहे।
हनुमान जी जाग रहे।
गली गली कूचे में इनका बसेरा होता है,
मेरे दरवाजे पर हनुमान का पहरा होता है।
जब जब भी मुझे पे संकत का कोई घेरा होता है,
मेरे दरवाजे पर हनुमान का पहरा होता है।
राम सिया राम जै जै हनुमान
मुझसे ज़्यादा चिंता करते मेरे घर भार की।
ये मेरे घर भार की।
करते हैं रखवाली हर दम ये मेरे परिवार की।
जपते जपते नाम इनहीं का सवेरा होता है।
मेरे दरवाजे पर हनुमान का पहरा होता है।
जब जब भी मुझपे संकट का कोई घेरा होता है।
मेरे दरवाजे पर हनुमान का पहरा होता है।
राम सिया राम जय जय हनुमान
मात सिया को खोज के लाया दुष्टों को भी मार घिराया।
संजीवनी भूटी ला करके लक्ष्मन को भी आन जगाया।
बिन इनके दुनिया में बस अंधेरा होता है।
मेरे दरवाजे पर हनुमान का पहरा होता है।
जब जब भी मुझे पे संकट का कोई घेरा होता है।
मेरे दरवाजे पर हनुमान का पहरा होता है।
राम सिया राम जय जय हनुमान।
स्री राम का सेवक है ये भक्तों का रखवाला है।
इसकी महिमा बहुत बड़ी है इसका खेल निराला है।
भक्तों से भगवान का रिष्टा गहरा होता है
मेरे दर्वाजे पर हनूमहान का पहरा होता है
जब जब भी मुझे पे संकत का कोई घेरा होता है
मेरे दर्वाजे पर हनूमहान का पहरा होता है
जब जब भी मुझे पे संकत का कोई घेरा होता है
मेरे दर्वाजे पर हनूमहान का पहरा होता है
राम सिया राम जय जय हनूमान
राम सिया राम जय जय हनूमान
राम सिया राम जय जय हनूमान