آئیں گھوڑے ஸக्ही சார साल پہ پھر دردیاں बढ़ा के गई
जय गाना करा के गई
आईल
घ़रे सखी चार साल पह फिर दरदियां बढ़ा के गई
जड़ा में कबनो जो गड़ ना भेटाला,
सिहरे बदनी ना मरिया फिराला
दरद से मा दिलेवा
दरद से
मा दिलेवा
बर्ब किले कहसे जभाईं लगे सारदी
रूनु रवान साफा बाड़े बेदरदी
मुर करे
जखुँ गा के गई अमकी जड़ में रूआ के गई
आईल घारे साफी चार साल पा फिर दरदिया बढ़ा के गई
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