प्रेमी भेजनों,
वो बाला जी महराज का भर एक संकत से
प्रेसान होकर के महनी पुर के धाम जाता है
और जा करके बाला जी सामने खड़ा हो जाता
है तर उस संकत से कहता है के संकत पे इमान
आज तरी बाला जी महराज की दरबार में खैर नहीं,
आज मैं स्री बाला जी महराज की चर्णों में तेरे नाम की अरजी लगाऊंगा,
संकत को ड़ाता है और क्या बताया है इस भेजन की माधम से रखूंगा,
आएये कैसे
दरा बाला जी के अरजी लगै ही लगई
या ते lakh ही लागे lak ask करी criticisms side
हीला खै
भेरोना आती कच मेटा हां बज़े ही बजे
भाला दिके अरे की लगे ही लगे
वो
संकत हमने की नाच नचावे
तू आंक पाड़े के हमे की दरावे
तू नचे ही नचे आज बाला दिके दरे तू नचे ही नचे
दर
बाला दिके अरे की लगे ही लगे
वो बरसी रही
है राम की माया
भंडार सभी के भरे ही भरे धर बाला दिके अरे की लगे ही लगे
वो अम्बे
कैसट धूमे मचारी
अम्बे कैसट धूमे मचारी
राजूहंसी के वजन सुनारी
राज मेहरी बोल तेरे सजे ही सजे
वो लगे ही लगे यत लगे ही लगे
लगे लगे पर पाला चीके
लगे लगे
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