दिव्यार सु स्टोडियो आरा
लागता की असमोली छोल जाए खाली
का जाने का हे साली
ये
ता ना लजाली मौन विगडले बाड़ी हम ता रह
जाईनी तरस के
होली में साली देखा वस दूआ तनी कोना जीजासे कोई ली हो प्यार अरे कहे रे
डाबीला कोसके तो भागेली होसके
आवे समझ में नाही का उनकर मौन बाद
लागता मिली नाही हमरा उपसान बाद
आवे समझ में नाही का
उनकर मौन बाद
लागता मिली नाही हमरा उपसान बाद
होने पको हली दोली हो लहंगा धले बनी यो वसके
वाई गौट क्या
चूए थोप थोप पीछ कारी रंग भाराल
बाबल बरन के ससुरारी मांगा पराल
ससुरारी मांगा पराल
ससुरारी मांगा पराल
होई नाने बाने लागे चीकंचा माने यादो सोडा पराल
बाद बनी लेकों के तो भागेली होसके
बाद बनी लेकों के तो भागेली होसके
लागों चाकी यो तो बोली छोल जाई खाली का जाने काहे साली
मान में बिगण ले बाडी हम तो रह गईनी तो रोज के
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