परुछोना ओ मिया ये धोगीया
लगता भूल गईला में हरी के सकन
रहे दा दिन भर कमबे में धूकन
लगता भूल गईला में हरी के सकन
सवबके फेर में रहे ला हर दंग
बरुछोना मुणिया ये धोञिया दिन वाके धड़कन हो हमार अधिके पुतरिया हो हमार
जोनी पुलहावना हमके मनावा बतिये न मानव तोहार
की
बरुछोना मुणिया ये धोञिया
दिन वाके धड़कन हो हमार
हाऊ बिटुके तु पहिला बसन ये धानी
लागे सरदो से भरीला गमान ये धानी
जाताने नहीं हो यावता भाई रहोन घरावा तोहार
बरुछोना मुणिया ये ध़ानिया दिन वाके धड़कन हो हमार