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Bài hát choli ki bulbul do ca sĩ thuộc thể loại Country. Tìm loi bai hat choli ki bulbul - ngay trên Nhaccuatui. Nghe bài hát Choli Ki Bulbul chất lượng cao 320 kbps lossless miễn phí.
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Lời bài hát: Choli Ki Bulbul

Lời đăng bởi: 86_15635588878_1671185229650

दर्वज्जा खुला छोड़े आई
रात मुझ सय्याने अंडा माने
रात मुझ सय्याने अंडा माने
रात मुझ सय्याने अंडा माने
रात मुझ सय्याने अंडा माने
तीते मारे दर्वत्या कुछा जोड़ आई
रतमुष सैया, सैया, सैया, रतमुष सैयाने पानी माँगा
मैं तुईमे धाकेली आई, तीते मारे मैं तुईमे धाकेली आई
तीते मारे मैं तुईमे धाकेली आई
तीते मारे दर्वत्या कुछा जोड़ आई
लाई लाई लाई लाई लाई लाई लाई लाई
शुहागल बनाया भरा मांग शेंदूर पिया की पियारी बनी दूल हिनिया
माता पिता के नयन की दुलारी पराये की दौलत बनी भी रहिनिया
कलपती है दलदल में फस करके नारी
बना दूर अचारी शेंदूर का सिपाही
धन के लिए धरम यपना गवाकर जलाकर दुलहन को बना नीर भोही
इस शार्लाइन की भुमिका कविकलिखल आप लोगन के शामने पेस बाई
बा बा बा
यहाँ यहाँ माशर यहाँ
बता दे या इलाहि ओ मदीना कैसी बस्ती है
बता दे या इलाहि ओ मदीना कैसी बस्ती है
बता दे या इलाहि ओ मदीना कैसी बस्ती है
तो पतादे या इलाही वो मदीना कैसी बस्ती है
मदीना कैसी बस्ती है
चहाहर रोजये मौला सदा रह मत बरस्ती है
चहाहर रोजये मौला सदा रह मत बरस्ती है
गाने कभा होगा मनोता खादिया मानो कलपती गंगा की धारा
मनोता खादिया मानो कलपती गंगा की धारा
तो मनोता खादिया मानो कलपती गंगा की धारा
तो मनोता खादिया मानो कलपती गंगा की धारा
कलपती गंगा की धारा
उजारा उजारा
उजारा खोदीया मानो कलपती गंगा की धारा

पुर्चमन अपना चड़ाओ जब इसके कापारा
पुर्चमन अपना चड़ाओ जब इसके कापारा
पुर्चमन अपना चड़ाओ जब इसके कापारा
प्रांत विहार में मुझा फरपूर जीला है
वही की घटना है पेपर से हमको मीला है
ग्राम जेलो चक्र जाने माने तिसान रहे
ग्राम जेलो चक्र जाने माने तिसान रहे
पुर्वज्यमित्तार साहुजी बलाधनवान रहे
आप लोग कहानी से मिल लें
प्रांत विहार जिला मजफर पुर्ग्राम जैलोचाके
माने जाने संपन्न किशान पुर्वशाओजी
जिनकी विट्या एकलोती इन्रासंत मारी
शादी के जो भजाती है बर खुशते है पौलन के के
उनही की बेटी सुन्दर इन्रासंत कुमारी थी
सुले पसंत पार कर गई दुलारी थी
भार बेटी का जब बाबू के सरप याला है
स्यानी बिट्या घर में चिंता उर्समाला है
ग्राम बल्वा हलाल बाबूजी को पाये है
ग्राम बल्वा हलाल बाबूजी को पाये है
प्याह कर वेटी को डोली अंगर भिठा
प्याह कर वेटी को डोली अंगर भिठा
याकर देपी को डोली अंदर भी चाहे
बा, लाइन होगा, लाइन बाई
की प्यारी, प्यारी, प्यारी बन गई प्यूती
वधा जबू पेम का डोरा
यानी लाल बाबू के साथ शादी कई ध्यालन विदा होकर के इंद्रासन जब ससुरार में पहुचल है
तो उहां का भावा मिलन की पहली रात में तमन्ना रह गया कोरा
मिलन की पहली रात में तमन्ना रह गया कोरा
कि प्यारी बल गई प्यूकी बधा जब प्रेम का डोरार डोरार रामा
अरे प्रेम का डोरार
मिलन की पहली रात में तमन्ना रह गया कोरा
मिलन की पहली रात में तमन्ना रह गया कोरा
जीवन में तिनही रात होले बाबूजी
पहली रात जनाम
तिसरी रात
तीसरी रात
दुशरी रतिया बीच के राथोले बड़ी मारमी के राथोले चवना के कहल जला सुहाग राथ
दुलहिन दुलहा सुहाग राथ मनावेलन लेकिन लाल बाबू शाहब सुहाग मनावे गईले इंग्रासवन के संगमे नकाम हवेलन
इसे ही मालुम होता सावित होत बाकि न फुम्सक रहलन लेकिन देखे लाइन बदल गईल भीत के नमुना बा आप लोग सुनें
यहाँ मास्टर यहाँ अरे पियमोर कुवरा कनहईया
पियमोर कुवरा कनहईया ए भागवा
वसुरिया बजाईके की मोरार हर कुवरा न हैं यां गोलाहालाइब बसुरिया
बजाईके के � Frances Where
में किन्नमुर्य के भाव श्रीरले घवाल
में किन्नमुर्य के भाव श्रीरले घवाल
अरे धुमिल भैली पियरिया, नजरिया सरावि भैलिया
नजरिया सरावि भैलिया
पंजाब चले जाते हैं तो होता है क्या
अरे गईला लाल बाबू पंजाब के सहरिया
भरवा में झंखे ले चादकी चकोरिया
पंजाब चले गईलन उनहीं का पटिदार रहलन
नागेस्वर भाईल का किखासे लाल बाबू के
नागेस्वर पटिदरवा अलागेंदरासन के पदमे देवरवा
अरे देवरा के नीरिक्यर मन्मा अरे देवरा के नीरिक्यर गुझरिया
नजरिया धरापी भरवा
अरे देवरा के नीरिक्यर गुझरिया वाई
हां देखें इंदराशन जोनवा
लेखें
नागेश्वर की देकर की मोहित हो जात गया और नागेश्वर भी इंदरासन की ते खलस्त मोहित हो गयल
आना जाना लगल लहल एकाद महिना की लगभग में एक दिन मिले बदे गयल तो भाईल का
का भाईल तो या यहां तर्ज के नमुना बाई
बाई रे यह संस्घर भवजाई रे ऐसा सुघर भवजाई रे देवो राकाई तरसे
यस्या यस्या यस्या
इंदरात का सरसे ऐसा शराली वरी म हाल मालाई वे लगल लहवाई
आउ apps.eu
यरे चाभे लिरबडी मलाई रे देवरासन में भावजी
एक दिन मिलने के लिए नागेस्वर जाता है और जब अंदर घुस्ता है महल में तो देखता है कि भावी चरपाई पर लिठी किताब पढ़ रही थी
भावी चरपाई पर लिठी किताब पढ़ रही थी
अरिस्य दुराक बनी के सिपाही रे देवरासन में भावजी
बाह दोनो जमानी के रंग में भिल गईलं आल लगलने पने में गुलजार मस्ती मोज लिवे
तरज बदल गईल
पवाल
तरज बदल गईल
आओ
जब चार महिना बितल हाँ चारो तरब घला मच गईल की नागेश्वर इंद्रासन पर दिमाना हो गईल
जब नागेश्वर कमहतारी धनमंती सुनली नहीं हम अपने पति देवजी से कहत का बारील भा यहां गीत का नमुना बाईल
जब नागेश्वर कमहतारी धनमंती से कहत का बारील भा यहां गीत का नमुना बाईल
गुली के गोरिया पारा तीली तीला तू बही
गुली के गोरिया पारा तीली तीला तू बही
गवा कल गवा जहाँ से
अरे हाँ सेला जमानारी लगवाता ना मारे
इंद्राषन पर नागे शर कर दिवाना लोगवाता ना मारे
इंद्राषन पर नागे वर दिवाना लोगवाता ना मारे
अपने पत्टि देव जी से कह ति बारी
सुनले इस्वामी बेटवा नागे शर कर साधी का देने � बात गरबड हो जायी
इंद्रासर पर दिवाना हो गईल बा
तालन ठीका ठीका दुलाइन सुनी
अच्छा नात बात के हुआई
लड़की सुघर मिली तेकर साधी काई देखे
एहर मिले रामपूर के
जोगेस्वर साव अपनी बिटिया फुलकुमारी के बर खुजत रहलन
तब होईल का
लड़की सुघर मिली तेकर साधी का
लड़की सुझर मिली तेकर साधी का
लड़की सुझर मिली तेकर साधी का
लड़की सुझर मिली तेकर साधी का
लड़की सुझर मिली तेकर साधी का
लड़की सुझर मिली तेकर साधी का
लड़की सुझर मिली तेकर साधी का
सुखवाश पनवा भाईले तुखवाश मनवा याईले
अधाजल में आधाजल में आधाजल में पासाली में वरियाई भागावाना
सुनीशें्या कि दूई चार माहे बीतिल काहे के नजर्यार और बदल जाती बागा
शोस्ती है
कि दूई चार माहे बीतिल काहे के नजर्यार और बदल जाती बागा
अरे माहे बीतल अरे पिया के नजरियारी बदलल अमाहुर भाईले सासुर के नगरियाली भगवन
संया नीर मोही मोरा सोचती है कि संया नीर मोही मोरा इंदासन के बसमी भाईले आज्जंख पुल कुमारी बोनी बो
तुमवरियाली भगवन
करे तूर गतिया पपिया एक दिन की बात पाई पकड करकी जो टवा और दाव करके सिने पर सलाह हो जाता है
और बोलता है कि भगेगी मेरे घर से की नहीं भगेगी
करे तूर गतिया पपिया अरे मारे लाठो कारवारे रतिया
जरे लाग जरे लाग जरे लाग गवने कैचू दर्या ये भागावाना
जरे लाग जरे लाग जरे लाग भागावाना
सजना मांगे प्राण्दान दलडल में फस्के गईया
मांगे प्राण्दान दलडल में फस्के गईया
बना कशाई नागेश्वर दुलहन को रोज सताता है
मदहोस जमानी के रंग में यपना धर्म गवाता है
आनया बरू को धोकर प्रेमिका के रंग में घूल गया
लानत है यसे मानोता को भूल गया
जो मानोता को खो दिया वह जीवन भर पचताता है
जो ठुकराता भर की लचमी वह नरकुंड में जाता है
इधर नागेश्वर अपनी दुलन को ससुराल भेज करके पंजाब चला जाता है
और इंद्राशन भी पंजाब पहुँच जाती वा कारण कि इंद्राशन के नागेश्वर की बिना आउस्टर रही ना जात रहल
जब वहाँ पहुँच गयल दूनों एक रंग में भीनी गयलन और लाल बाबू मायूस होकर के लाचार होकर के घर चेलियन
लेकिन दू साल वितला के बाद नागेश्वर इंद्राशन को ले करके जग घर आयल तो धर्वन्ती फटकारत व्या कोहलस क्या आला के भाव से मिले
लेकिन दू साल वितला के बाद नागेश्वर इंद्राशन को ले करके जग आयल तो धर्वन्ती फटकारत व्या कोहलस क्या आला के भाव से मिले
लेकिन दू साल वितला के भाव से मिले
लेकिन दू साल वितला के भाव से मिले
लेकिन दू साल वितला के भाव से मिले
लेकिन दू साल वितला के भाव से मिले
लेकिन दू साल वितला के भाव से मिले
लेकिन दू साल वितला के भाव से मिले
लेकिन दू साल वितला के भाव से मिले
लेकिन दू साल वितला के भाव से मिले
लेकिन दू साल वितला के भाव से मिले

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