कजरा लगा दुनिया जली
चुनरी कमर्या पे बाध चली
जन ते तेरी नजर ओडली
मैं जूप में हो चली सावली
आजारे ले जा खिलती कली
ले जाए ना वर्ना कोई
शाम हो दो राहे तकू
रात यादे लेके जगू
जूप गुजारे मैं अकेली आहे भरू
जूप में
आजारे ले जा खिलती कली ले जाए ना वर्ना कोई
तू हाथ बलता ही रह जाएगो चिर्णियो ये उड़ जाएगी
मस्तियों से तू है भरी खूब है ये फितना
गरी और कोई भी दिखे ना ऐसी है तेरी साहेरी
काबू है दिल पे तेरा नज़ोर कोई मेरा जो आक लगा दी तूने वो डाले है घेरा
मीने लुटी है तूने खाबों में भी है थेरा
मैं तरबू तेरे बिना रह पाऊँ ना ज़िता
आजा रह ले जा खिलती कली ले जाए ना वर्ना कोई
तू हाथ बलता ही रह जाएगो चिर्णियो ये उड़ जाएगी