प्रेम से बोला सुरुज गोसाई कीजीजा भटा हा के घाटे घुमा हा दिलेसुने रुला ही के घाटे घुमा हा दिलेबाण डाले आमामा के बनल भारीपहीं तो चोले के परिताई आहरीसिसा बंद को के घुमा याई बड़ी एमेजीजा कोबे आके घाटे घुमा हा दिलेछठी महिया के दोरी संकरा हा दिलेबावी सपना हमारे खुबे कोट के सिंहारे घाटे घुमेचौले रुवा साथ मेंजारा के छुरा छुरी सा धादी लवाकेपुरी माझा आई मिठी मिठी बात मेंए जीजा सुनेबावी सपना हमारे खुबे कौट के सिंहारे घटे घुमेजड़के छुरी छुरी सरधा दिलावा के पूरी माझा आई मिठी मिठी बात मेंघुमा जाई को बे आह के घटिया आपन साली के माहनी ना बतियाघड़े आबल जाई दिने दुपहरिया मेंभटवलिया के घाटे घुमा दिलेभटवलिया के घाटे घुमा दिलेभटवलिया के घाटे घुमा दिलेएई जिजा अरे सुनेएई दिदिया के संया अलेले बड़ी मयाउजे चौली उनकर चाड़ा हने जीमाई के मही मामा हने जाने ज़ागे जाहनेबाजे संतोस चोरस्या के भाह जाने जीशिके रहना घटे भीरे भारी हो लाओधरा में दरिखे ये चाटे छोलागड़ी जने रोवा रात बाया जोरिया मेंहरा सीरी के घाटे घुमा दियेसीरी पूहरी के घाटे घुमा दिये
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