प्रेम से बोला सुरुज गोसाई की
जीजा भटा हा के घाटे घुमा हा दिले
सुने रुला ही के घाटे घुमा हा दिले
बाण डाले आमामा के बनल भारी
पहीं तो चोले के परिताई आहरी
सिसा बंद को के घुमा याई बड़ी एमे
जीजा कोबे आके घाटे घुमा हा दिले
छठी महिया के दोरी संकरा हा दिले
बावी सपना हमारे खुबे कोट के सिंहारे घाटे घुमे
चौले रुवा साथ में
जारा के छुरा छुरी सा धादी लवाके
पुरी माझा आई मिठी मिठी बात में
ए जीजा सुने
बावी सपना हमारे खुबे कौट के सिंहारे घटे घुमे
जड़के छुरी छुरी सरधा दिलावा के पूरी माझा आई मिठी मिठी बात में
घुमा जाई को बे आह के घटिया आपन साली के माहनी ना बतिया
घड़े आबल जाई दिने दुपहरिया में
भटवलिया के घाटे घुमा दिले
भटवलिया के घाटे घुमा दिले
भटवलिया के घाटे घुमा दिले
एई जिजा अरे सुने
एई दिदिया के संया अलेले बड़ी मया
उजे चौली उनकर चाड़ा हने जी
माई के मही मामा हने जाने ज़ागे जाहने
बाजे संतोस चोरस्या के भाह जाने जी
शिके रहना घटे भीरे भारी हो लाओ
धरा में दरिखे ये चाटे छोला
गड़ी जने रोवा रात बाया जोरिया में
हरा सीरी के घाटे घुमा दिये
सीरी पूहरी के घाटे घुमा दिये
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