स्रिष्टि आईसं सन्जोग बनवली बुझाली न बलका के पुकार हो।
अब ता कुछो न बाचले मैया दुख के टूटल पाहाड हो।
अब ता कुछो न बाचले मैया दुख के टूटल पाहाड हो।
अब ता कुछो न बाचले मैया दुख के टूटल पाहाड हो।
अब ता कुछो न बाचले मैया दुख के टूटल पाहाड हो।
जहावा हो खत्रहे छठ के बरतिया, कैसे बताई माही दिल के दरधिया।
कातिक महिनवा कोहो के करे जवा, देखिये के भाईल भी नुसार।
माही के ममता से ओजहल करे।
छिनलू जियते पराण।
माही के ममता से ओजहल करे।
छिनलू जियते पराण।
सुनले बाने माही मातारा उरबा अपार हो।
सुनले बाने माही मातारा उरबा अपार हो।
के हुनै खेदेत हमके ममता उधार हो।
आस लगतारा।
गवनी ध्यान राउरधाईनी सुनालीना आराजी हमार।
माही के ममतासे ओज्जाल कैलू छिनलू जियते परान।
हर साल दवरा माथे घाटे पहुँचहीती।
सोने के कलास सांघे दूधावोली आहीती।
सुपवो धाराहीती आरघदिलाहीती पावति आसीस दिनानात।
माही के ममतासे ओज्जाल कैलू छिनलू जियते परान।
माही के ममतासे ओज्जाल कैलू छिनलू जियते परान।
छाठी माही लो रावेसे चारन्तुरः पखारती।
छाठी माही लो रावेसे चारन्तुरः पखारती।
कौनो रूप धाके माही हम के बोलाहीती।
कापाता सारीरियाह छूटता परानावा।
कैसे देबू हमके विसार
माही के मम्तासे ओज़ल कैलु
छिनलू जियते परा
माही के मम्तासे ओज़ल कैलु
छिनलू जियते परा
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