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दल्चुकी रात ये आँचल तो हटा दो रुख से
किसलिये चांद से चेहरे पे घटा छाई है
ये तो सर्पार मेरे प्यार की रुस्वाई है
चांद है तारे भी है
और ये तन्ना भी है
प्यार भी करता है
शिक्वे भी किया करता है
सर्दूतने
प्यार भी करता है
तुमने क्या दिल के जलाने के खसम खाई है।